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Showing posts from December, 2019

"" बेरोज़गारी का आलम "" by Vipin Dilwarya

             ""  बेरोज़गारी का आलम "" स्नातक उत्तीर्ण किया आई खुशियों की बहार , पल भर की थी ये खुशियां हमसे पहले स्नातक अब तक है बेरोजगार , दिन - रात मेहनत करते प्रतिस्पर्धा के लिए करते रहते नौकरी निकलने का इंतेज़ार । दिन पर दिन बढ़ते जा रहे बेरोजगार भर्ती  नहीं  कर  रही  सरकार , रिक्त पदों की संख्या बढ़ रही बेरोज़गारी निरन्तर बढ़ती जा रही , ना जाने कब नोकरी आएगी होता उस पल का इंतेज़ार । चलो तरस आया भइया बेरोजगारों पर सरकार को , विज्ञप्ती हुई अब भर्ती करेंगे चपरासी और चौकीदार को , फॉर्म भरे गए जब साइट जाम हो गई आधो के फॉर्म भरे गए और आधे रह गए कतार में , हद तो तब हो गई नौकरियां थी पचास हजार और फॉर्म भरे गए बीस करोड़ पचास हजार , ऐसे हमारे देश के हालात कितनी है नौकरियां और कितने है बेरोजगार , चलो ठीक है भइया मान लिया नौकरी है कम और ज्यादा है बेरोजगार , तो इसलिए आ गए फॉर्म बीस करोड़ पचास हजार , छटनी हुई जब फार्मों की दंग रह गए सभी देखकर बेरोज़गारी के ऐसा आलम , पी0 एच0 डी0 धारक बनने को तैयार है चपरासी और चौकीदार ,

" आखिर कौन है वो इंसान " ( Rapist poetry ) by Vipin Dilwarya

" आखिर  कौन  है  वो  इंसान "   ( Rapist poetry ) आखिर  कौन  है  वो  इंसान , ना बेटी , ना बहन , ना दिखती है मासूमियत वो इंसान है या हैवान , तीन साल की बच्ची देखता है  ना देखता है 60 साल की औरत , हवस  का  पुजारी  है  वो ना देखता है बच्ची और जवान , आखिर  कौन  है  वो  इंसान..... इंसान , इंसान को मार रहा बेटियों को नोच रहा और कर रहा औरत की इज्ज़त तार - तार रोज हो रहे बलात्कार खबरे आ रही है लगातार आखिर  कौन  है  वो  इंसान जो कर रहा इंसानियत को शर्मशार , आखिर  कौन  है  वो  इंसान..... तू  है  या  मैं  हूं ,  ये  है  या  वो  है , तू भी नहीं मैं भी नहीं , ये भी नहीं  वो भी नहीं सब बनते है अंजान , क्या कोई और है इस समाज में कोई दूसरे ग्रह से आता है क्या , तू भी इस समाज में ,  मैं भी इस समाज में ,  ये भी इस समाज में ,  वो भी इस समाज में , फिर कैसे होगी उसकी पहचान , आखिर  कौन  है  वो  इंसान..... By _ Vipin Dilwarya