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Showing posts from May, 2021

दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई ( शायरी ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '

दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई देखो आज वो शाम आई  मेरे हिस्से खुशियाँ तमाम आई एक माँ का दामन छूटा तो अपनी बाहें पसारे धरती माँ आई  ज़मींदारी लेकर आई मेरी शहीदी, आज दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई खुशकिस्मत हुँ मैं वतन तेरे लिये, मेरे  ज़िस्म  की  मिट्टी काम आई  __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी ' 

Part - 8 - Heart broken💔shayari __Ghazi Acharya

Heart broken💔shayari (1) बहुत कुछ गवांया है एक तेरे लिये घर से बेघर हो गया हुँ एक तेरे लिये अब भी खत्म नहीं हुई तेरी ख्वाहिशे अब क्या दुनिया छोड़ दूँ एक तेरे लिये (2) ये तेरा इश्क़ सजिशों का हिस्सा है,,!!  जिसमें  सिर्फ  मेरा  किस्सा  है,,,,,,!! (3) मेरी लकीरें अधूरी तेरे बिना है,,! मुझे जीना फिर भी तेरे बिना है,,!! लिक्खी है बस हिज़्र की कहानी,, मेरी किस्मत है कि मेरा नाम हिना है,,!! (4) डरना मंजूर नहीं था फिर भी डरा हुआ हुँ मैं,,! मरना मंजूर नहीं था फिर भी मरा हुआ हुँ मैं,,!! (5) झूँठ कहता हुँ  कि मैं मस्त हुँ तेरे जाने से मैं अस्त व्यस्त हुँ (6) नज़रें तो उनकी आज भी झुक जाती है,,,!! वो बात अलग है कि  अदब से नहीं आज शर्म से झुक जाती है,,!! (7) अब तेरे बिना जीना पड़ेगा माँ तेरे जैसा प्यार कौन करेगा माँ सर से तेरा साया छूट गया अब मेरे कष्टो को कौन हरेगा माँ (8) मोहब्बत नहीं कुछ लोग आजमाईश करते है  वफ़ा के नाम पर जिस्मों की नुमाईश करते है सस्ता नशा करके गुज़रती है जिसकी ताऊम्र मुफ्त  की  मिले  तो वो भी फर्माईश करते है (9) नजरें झुकी है तो उसनें जरूर कुछ छुपाया होगा बखूबी जानती है कि मैं उसकी

बस इतना सा करना है __गाज़ी आचार्य 'गाज़ी '

      बस इतना सा करना है काटने वाले काटते रहेंगे  बीज नफरतों के बो देना तेरा क्या  जाता है इसमें जमा किया  जो भी  बाप ने  वो  सब खो देना अपनी ज़िन्दगी ऐश में है हमे  औरों  से  क्या लेना  बस  इतना सा  करना है बात निकल जाये जब हाथ से तो बाद में रो देना __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '

मोहब्बत हो गई तो हो गई ( गज़ल ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '

मोहब्बत हो गई तो हो गई  कैसे ये दिल मेरा  क्यूं ये बदल गया तुझसे ये मिलकर  क्यूं ये मचल गया कैसे समझाऊं अब दिल समझ ना पाये तेरे सिवा इस दिल को  अब कोई ना भाये  चैन मेरा खो गया नींद मेरी खो गई  क्या करू अब तुम्ही बताओ मोहब्बत हो गई तो हो गई  तेरे जाने के बाद याद आया एहसास प्यार का बाद आया तड़प  रहा  है   तेरी   खातिर लेकर दिल ये फरियाद आया हुआ महसूस बिछड़कर गलत ये बड़ी बात हो गई  चैन मेरा खो गया नींद मेरी खो गई  क्या करू अब तुम्ही बताओ मोहब्बत हो गई तो हो गई  बेसब्र हुँ मैं बेताब हुँ तेरे इंतज़ार में रोज आती हो तुम मेरे ख्वाब में ' गाज़ी '  सब  कुछ  भूल  गया  कटते है रात दिन अब तेरी याद में ये कैसी जंग है यारा  जीतकर भी मेरी ही मात हो गई  चैन मेरा खो गया नींद मेरी खो गई  क्या करू अब तुम्ही बताओ मोहब्बत हो गई तो हो गई  मोहब्बत की पहली बारिश हो रही है  दिल की ये मेरी गुजारिश हो रही है जितनी गुजरे तेरे साथ गुजरे दिल की यही बस ख्वाहिश हो रही है ज़ुदा अब मैं तुझसे कैसे रहूँ मेरी ख्वाहिश तेरी मोहब्बत हो गई  चैन मेरा खो गया नींद मेरी खो गई  क्या करू अब तुम्ही बताओ मोहब्बत हो गई तो हो गई  __ग

Part - 13 - Thoughtfull Shayari __Ghazi acharya

  Thoughtfull Shayari (1) मंजिल दूर है  रास्ता गुज़रा अभी आधा है थक सा गया हुँ चलते-चलते  लगता है ख्वहिशो का वज़न कुछ ज्यादा है (2) खो दिया था हमनें बचपन उस दिन जिस दिन लोगो नें कहा कि समझदार हो गये हो (3) यूं ही नहीं आया वो तूफान यहाँ वो एक पैगाम लेकर आया है गिर चुका है किस कदर इन्सान यहाँ वो उसका अंजाम लेकर आया है (4) इतनी बाजियां हारा हुँ मैं मगर ख़ुद से नहीं हारा हुँ मैं मौत लगी है मेरे पीछे पीछे मगर ज़िन्दगी आ रहा हुँ मैं (5) जो लोग संघर्ष करते है वो कामयाबी को किस्मत का नाम नहीं देते  (6) आना जाना लगा रहना है यहाँ आज ज़िन्दगी है कल मरना है यहाँ कोन कब तक शोक मनायेगा ये जीवन चक्र है चलते रहना है यहाँ (7) किसको कितना मुकम्मल जहाँ मिला  और नहीं  सिर्फ तू जनता है मेरे ख़ुदा  (8) दौलत से प्यार वो अन्धा कर रहा है आपदा को अवसर बनाकर  व्यापार नहीं वो धन्धा कर रहा है (9) बस कर  और  कितना सिखायेगी ज़िन्दगी और क्या-क्या दिखायेगी ना कर  इतना  मजबूर ए ज़िन्दगी इंतज़ार करुँ कि मौत कब आएगी (10) योजनाओं के नाम पर  झांसे ही झांसे है व्यवस्था के नाम पर तमाशे ही तमाशे है सब कुछ  ठीक  है  मीडिया और अखबारो

Part - 7 - Love shayari __Ghazi Acharya

                Love shayari (1) बहुत खलती है मुझे उसकी गैर मौजूदगी  शाम ढलते ही याद आती  है वो मौसीक़ी खुशी का नहीं  गम का ही सही, ज़िन्दगी  का हिस्सा तो  है  बस  यही  है आसूदगी आसूदगी - सन्तोष  (2) ऐतबार कर बैठा मैं उन रातों पर काबु  कर ना पाया जज़्बातों पर सब कुछ गवां बैठा "दिलवरिया" यक़ीन  करके  उनकी बातों पर (3) मेरे ख्वाब है अधूरे तेरे बिन है अधूरी मेरी रात ना मिले तू अगर तेरे बिन मैं मर जाऊं आज (4) तेरी खुशहाल ज़िन्दगी का  पता कुछ इस तरह गुम हो जाये,,,, कि ढूँढता रह जाये गम  और वो खुद में गुम हो जाये,,,, (5) मैनें इक कविता लिखी है जिसमें हर बीती बात लिखी है मैनें इक कविता लिखी है जिसमें हर जज्बात लिखी है कविता के हर लफ्ज़ में मैं हुँ मैनें सुबह और शाम लिखी है मैनें इक कविता लिखी है जिसमें हर गुजरती रात लिखी है (6) ना जाने कब तू इतनी जरुरी हो गयी,,! कि मेरी अधूरी ज़िन्दगी पूरी हो गयी,,,!!   (7) तेरी   बातें,,,,,,,,, मीठी   खीर   हो   गई  तू मेरा मन्दिर - मस्जिद तू ही पीर हो गई  जब भी मिलती मेरी नज़रों से तेरी नजरें लगता जैसे  जिगर  पार  शमशीर हो गई  (9) मेरी चाहत तुझसे है मेरी

मैं परेशान हुँ ( हिन्दी कविता ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '

                      मैं परेशान हुँ मैं  परेशान  हुँ  कुछ शऊरदारो से, समाज भरा पड़ा  है समझदारों से मशवरा दे जाते  है जो  राह चलते, मैं  परेशान  हुँ  ऐसे सलाहकारो से दूसरों की पैंट में खामियां बताते है, जिनका गुजारा होता है पजामों से मोल करते है  वो चांद सितारो के, जिनके घर भरे  पड़े  है  उधारो से कब  निकलेगा  इन्सान  यहाँ  इन  झूँठे  रीति  रिवाज़  परम्पराओं से अनपढ़ो से कोई गिला नहीं 'गाज़ी' मैं  परेशान  हुँ पढ़े लिखे गंवारो से __गाज़ी आचार्य 'गाज़ी'

एहसास ( गज़ल ) __ गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '

                        एहसास एक एहसास है जो मेरे पास है उसकी याद है उसकी बात है  मेरे साथ उसके जज़्बात है एक एहसास है जो मेरे पास है गवाह ये ज़मीं गवाह ये आसमाँ  गवाह वो वस्ल की बरसात है एक एहसास है जो मेरे पास है है कुछ मजबूरियाँ  जो हम में है दूरियाँ दूर है तो क्या हुआ  मेरे पास उसके खयालात है एक एहसास है जो मेरे पास है खिज़ा की वो शाक नहीं जो यूं टूटकर बिखर जाये मोहब्बत है कोई मदिरा नहीं जो यूं गिरकर उतर जाये कैसे छोड़ दूँ मैं ये साँस"गाज़ी" मेरे पास जीने की आस है  एक एहसास है जो मेरे पास है __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '