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Showing posts from July, 2019

मां की जब क़दर नहीं , तो देवी पूजन का क्या फायदा ? by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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""  क्या फायदा  ""     मां - बाप का अनादर करे , तो ईश्वर को पूजने का क्या फायदा ? मां - बाप की सेवा ना कर सके , तो समाज सेवा करने का क्या फायदा ? मां - बाप का जीवन दुखी , तो बेटों के सुखी जीवन का क्या फायदा ? मां - बाप पैसे - पैसे को तरसे , तो बेटों के करोड़पति होने का क्या फायदा ? बाप के तन पर कपड़े फटे हुए , तो बेटों के ब्रांडेड कपड़े  पहनने का क्या फायदा ? मां की जब क़दर नहीं , तो देवी पूजन का क्या फायदा ? मां - बाप को ईश्वर के दरबार ना ले जा सके , तो बेटों की ऐसी तीर्थ यात्रा का क्या फायदा ? जीते जी दो वक्त की रोटी ना दे सके , तो मरणोपरांत बांवन गांव को रोटी खिलाने का क्या फायदा ?      🙏  मां - बाप ही ईश्वर        🙏         🙏  मां - बाप ही भगवान है ,  🙏         🙏  मां - बाप के बिना           🙏         🙏  अधूरा हर इंसान है ।       🙏 https://vipindilwarya.blogspot.com By _ Vipin Dilwarya

"" धर्म "" by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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" धर्म " मंदिर पर बरसे , मस्जिद पर बरसे चर्च और गुरुद्वारे को भिगोएगा , धर्म के नाम पर बांटने वालों इस बादल का धर्म कौन बताएगा ?? हिन्दू मुस्लिम की प्यास बुझाए सिख ईसाई की तृष्णा मिटाए , धर्म के नाम पर बांटने वालों इस पानी का धर्म कौन बताएगा ?? मंदिरों को सजाया जाता है मजारो की शान बढ़ता है  चर्च गुरुद्वारे को महकाएगा , धर्म के नाम पर बांटने वालों इन फूलों का धर्म कौन बताएगा ?? पूरी दुनिया को रोशन करता है सृष्टि को उज्जवल करता है , धर्म के नाम पर बांटने वालों इस सूरज का धर्म कौन बताएगा ?? हिन्दू जीता है मुस्लिम भी जीता है सिख और ईसाई भी सांस लेता है , धर्म के नाम पर बांटने वालों इन हवाओं का धर्म कौन बताएगा ?? हिन्दू तुझमें विलीन हो जाता है मुस्लिम कब्र बनाकर दफनाता है , धर्म के नाम पर बांटने वालों इस मिट्टी का धर्म कौन बताएगा ?? हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म बनाया इंसान ने , गॉड खुदा ईश्वर अल्लाह  नाम दिया इंसान ने , जिसने बनाया इंसान को क्या इंसान भगवान् का धर्म बताएगा ?? मंदिर मस्जिद भी हैरान

"" [ हूं मैं ऐसा ] "" by Vipin kumar

  "" [  हूं मैं ऐसा  ] "" शेर हूं  , जंगल ! वन में रहता हूं है शौक मुझे ! जीने का, बेडिया ना मैं सहता हूं। हूं धार्मिक ऐसा ! युद्ध से , ना मैं कतराता हूं । हूं मर्द ऐसा ! जोखिम से ,ना मैं घबराता हूं । हूं बहादुर ऐसा ! एक भी सांस ,  ना मैं व्यर्थ गंवाता हूं । हूं पुरुषार्थी ऐसा ! कर्तव्य निभाने में अडिग , ना मैं स्वयं को  दुखी होने देता हूं । हूं बलिदानी ऐसा ! बलि चढ़ने में , ना मैं मलाल आने देता हूं । हूं दानवीर ऐसा ! दान से पहले , ना मैं मन में खोट फटकने  देता हूं । हूं ऊर्जावान ऐसा ! उत्साह कायम रखने को , समय के साथ  बढ़ता हूं । हूं योगी ऐसा ! मंजिल से पहले , ना मैं मानसिकता व्याधियों  में फंसता हूं ।               https://vipindilwarya.blogspot.com By _ Vipin Kumar

"" हिमा दास की उपलब्धियां "" by Vipin Dilwarya

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  ""  हिमा दास की उपलब्धियां "" रोशन किया तूने भारत का नाम है हिमा दास तु देश की आन बान शान है । 21 दिन में तूने किया ऐसा कमाल भारत को दिलाए 6 गोल्ड मेडल गर्व करता तुझ पर पूरा हिन्दुस्तान है । देश की मीडिया कहां सो गई ना जाने कौन सी ऐसी बात है , मीडिया भले ही ना दिखाए देश की जनता हिमा तेरे साथ है । क्रिकेट जैसे खेलो पर रुपयों की होती बरसात है 6 गोल्ड जीतकर भी हिमा दास मीडिया करता नहीं तेरी बात है । नाम रोशन किया जिसने वो हिमा दास है सम्मान देने से पहले देखते उसकी जात है । होंसले बुलंद रख तेरे साथ पूरा जहान है हिमा दास तु देश की आन बान शान है । तेंदुलकर अगर क्रिकेट का भगवान है तो हिमा दास को देना है दौड़ की देवी का सम्मान है । रुकना नहीं झुकना नहीं बस दौड़ते जाना है इस दुनिया में भारत को शीर्ष पर पहुंचना है । जो आज तेरा नाम लेने से कतराते है वो इस देश में रहने वाले बेईमान है । तु दौड़ते जा इसी तरह हिमा दास तुझे बदलना इन बेईमानों का ईमान है । रोशन किया तूने भारत का नाम है हिमा दास तु देश की आन बान शान

" मृत्यु अटल सत्य " by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" मृत्यु अटल सत्य " ये जीवन तेरा यूं ही गुजर जाएगा ज़िन्दगी पे ना घमंड कर ये घमंड चूर - चूर हो जाएगा । मृत्यु जीवन का अटल सत्य है सब यहीं रह जाएगा ।। जिंदगी भर जो कमाया वो दूसरो का हो जाएगा अपने लिए कुछ नहीं रह पाएगा । इससे छीनकर उससे लूटकर जिंदगी भर गांठ बनाएगा , अब भी वक्त है वक्त से संभल जा जिंदगी पल भर का खेल बन जाएगा । इस दुनिया में कोई सर्वश्रेष्ठ नहीं मृत्यु जीवन का अजर - अटल सत्य है इस पर किसी का वश नहीं । राजा हो या रंक तु एक दिन मौत के आगोश में सो जाएगा , तु क्या लाया था और क्या ले जाएगा ? दिलवारिया तो यही समझाएगा दान - पुण्य कर कुछ कर्म करले ये जीवन तेरा संवर जाएगा , मृत्यु तो निश्चित है आएगी पर तेरा व्यक्तित्व अमर हो जाएगा । मृत्यु जीवन का अटल सत्य है सब यहीं रह जाएगा ।।          https://vipindilwarya.blogspot.com            __ विपिन दिलवारिया

" भूख " by Vipin dilwarya ( published by newspaper )

" भूख " हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता है... सबको समान बनाया तूने , कोई अमीर तो कोई गरीब क्यों होता है ? तेरा बनाया इंसान भूखा ही रहता है , कोई धन दौलत का , कोई शोहरत का तो कोई पेट का भूखा होता है । कोई छप्पन भोग खाकर सोता है , तो कोई एक वक्त की रोटी को तरसता है । ईश्वर तेरा खेल समझ नहीं आता , एक सूखी रोटी समझकर फेक देता है दूसरा भूखे पेट सो जाता है । हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता हैं... हे ईश्वर जब तेरे दरबार में  कोई भेदभाव नहीं होता है , इंसान धरती पर जन्म लेता हैं कोई मखमल के गद्दों पर  तो कोई चटाई पर पैदा क्यों होता हैं ? किस्मत का खेल तूने क्या खूब बनाया  कोई पैदा होते ही राजकुमार बन जाता है , तो कोई पैदा होते ही फ़कीर कहलाता हैं ।   हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता है... फेंक देते है जो सूखी रोटी समझकर काश उस रोटी की अहमियत समझ पाता , सूखी रोटी की कीमत क्या होती है , उस से पूछ जो हालात का मारा होता है । हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता हैं...                https://vipindi

जीवन by Vipin Dilwarya ( Published by Amar Ujala kavya )

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जीवन निज जीवन के संघर्ष में दूर किया सबको अपने से , नहीं रहा ध्यान मां बाप  भाई बहन और घर परिवार का , तब मुझे समझ में आया अपनों के बिना ये जीवन किस काम का ।। कामयाबी की इस चाह में मैं सब कुछ भूल गया , सफलता की सीढ़ियां तो चढ़ता गया  पर अपनों का साथ छूट गया , जीत लिया जग-संसार मैंने पर अपना कोई साथ ना था , तब मुझे महसूस हुआ  अपनों के बिना ये जीवन किस काम का ।। मतलब से जुड़ा हर इंसान मतलब से संबंध जोड़ता गया , जब आया कठिनाई का दौर मतलबी संबंध तोड़कर मुंह मोड़ गया , जीवन के इस उतार - चढ़ाव में  ज्ञान हुआ अपने-पराए इंसान का , तब मुझे मालूम हुआ  अपनों के बिना ये जीवन किस काम का ।। 🙏अपनों का साथ कभी ना छोड़े🙏         🙏  पूरी दुनिया मुह मोड़ लेगी 🙏                🙏तब अपने ही साथ खड़े होंगे🙏                https://vipindilwarya.blogspot.com                                     __ विपिन दिलवारिया 

सावन की बरसात by Vipin Dilwarya ( published by newspaper )

सावन की बरसात आया बरसात का मौसम झूमले बादल आए झूम झूमके और  बादलों को चूमले । ऋतु बदली गया ज्येष्ठ आषाढ़ साल का था इंतेज़ार माह बदले और  आए सावन झूमके ।     आया बरसात का मौसम झूमले......... मिट्टी की वो सौंधी खुशबू याद आई जब सावन की बरसात आई , खिल उठते है चेहरे जब  खेतो में हरियाली आए घूमके ,     आया बरसात का मौसम झूमले......... सावन की फुहारें बचपन की याद दिलाएं  काश बागों के वो झूले फिर से झूल जाए , बीत गई सावन की वो खुशियां वो खुशियां फिर से लौट आए । झमाझम बरसे बारिश के संगीत में , तन नाच उठा   और सावन के गीत गाए झूमके , आया बरसात का मौसम झूमले बादल आए झूम झूमके और बादलों को चूमले । काली घटा छाए सावन में , पवन चली पुरवाई  चुपके से कह जाए कानन में , आने वाली है बरखा  तू नाचले अपने आंगन में ।  आया बरसात का मौसम झूमले बादल आए झूम झूमके और बादलों को चूमले । __ विपिन दिलवारिया 

वृद्धाश्रम by Vipin Dilwarya ( published by newspaper )

वृद्धाश्रम अच्छा कहूं या बुरा कहूं कुछ समझ नहीं आता है , उसे घर कहूं या मंदिर जो वृद्धाश्रम कहलाता हैं ।। बोझ समझकर ठुकरा देता  माता - पिता को , एक मात्र सहारा होता है जो वृद्धाश्रम कहलाता हैं । काश दिलवारिया समझा पाता     माता - पिता का कोई मोल नहीं होता  , हमारा जीवन संवारने के लिए अपने जीवन का त्याग करता , हमारी एक खुशी पाने के लिए अपनी खुशियों को कुर्बान कर देता , बस इंसान इतनी बात समझता  तो इस संसार में वृद्धाश्रम ना होता । जिसका कोई सहारा नहीं    उसके लिए वृद्धाश्रम मंदिर होता है ,   सहारा होते हुए भी जो बेसहारा है  ऐसे बेसहारों का सहारा होता   वो वृद्धाश्रम कहलाता हैं । अच्छा कहूं या बुरा कहूं  कुछ समझ नहीं आता है , उसे घर कहूं या मंदिर जो वृद्धाश्रम कहलाता है ।। 🙏🙏माता-पिता का सम्मान करे                         और उनका सहारा बने🙏🙏 __ विपिन दिलवारिया

[ जल ] by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

जल जल तो आखिर जल है इसका कोई मोल नहीं , मत बहाओ जल को जल के बिना जीवन नहीं । प्रण करो ये सब मिलकर जल को बचाना है , जल की एक बूंद को भी व्यर्थ नहीं बहाना है । जल की बूंद - बूंद को बरता नहीं तो बूंद - बूंद को तरसेगा यहीं । दिलवारिया की बात पर ध्यान करो , ज्ञान की एक बात सुनो जिसे जीवन में अपनाना है । बूंद - बूंद को जोड़कर तालाब एक बनाना है धरती की प्यास को मिटाना है । जल का महत्व बताना यही जल के बिना पर्यावरण नहीं , पर्यावरण बिन धरती नहीं धरती के बिना हम सब नहीं । जल ही पृथ्वी पर अमृत हैं जल नहीं तो जीवन का कल नहीं । जल तो आखिर जल है इसका कोई मोल नहीं मत बाहाओ जल को, जल के बिना जीवन नहीं । 🙏🙏प्लीज जल के महत्व को समझो🙏🙏      """ जल बचाओ , व्यर्थ में ना बहाओं """ https://vipindilwarya.blogspot.com By _Vipin Dilwarya

[ अनाथ बच्ची ] एक नन्ही सी जान.. by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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  अनाथ बच्ची   एक नन्ही सी जान..   मैं मासूम थी , नादान थी , हर बात से अंजान थी । मेरा कुसूर क्या था जो तूने मुझे छोड़ दिया , मैं तो नन्ही सी जान थी ।। बोझ समझा तुमने मुझे क्या मैं इतनी बुरी थी , लड़की हूं मैं तो इसमें  मेरी क्या गलती थी । मेरा जीवन तो तेरी देन है  फिर क्यूं हम में इतनी दूरी थी , जब तूने मुझे छोड़ दिया  तो मैं अन्दर से टूट गई थी । मां.. तुझे मुझ पर तन भी तरस ना आया , कि मुझ पर क्या बीतेगी मैं तेरे बिना कैसे रह पाऊंगी । मां.. तू तो मुझे समझती , मैं अगर लड़की हूं  तो तू भी किसी की लड़की थी । लड़की होना अगर गुनाह है पाप है तो वो पाप कभी तूने भी किया था । अपने से दूर ही करना था  तो मुझे पैदा क्यों किया था । जिस पल मैं पैदा हुई  ना जाने वो काला दिन था  या कली रात थी । कैसी किस्मत मैंने पाई मां बाप के होते हुए भी मै अनाथ थी । मैं मासूम थी , नादान थी , हर बात से अंजान थी । मेरा कुसूर क्या था जो तूने मुझे छोड़ दिया मैं तो नन्ही सी जान थी ।।                https://vipindilwarya.blogspot.co

दादी मां by Vipin Dilwarya ( published by newspaper )

दादी मां बहुत याद आती है मुझे तेरी, दादी मां जाने कहा खो गई मेरी प्यारी दादी मां ..... वो आंगन में बैठी, मेरे बालो को बड़े प्यार से सहलाना मुझे याद आज भी हैं ।। जब वो बड़ों के साथ बड़ी और छोटो के साथ छोटी बन जाया करती थी , मैं खेलता था जब अपने आंगन में , दादी का वो बच्चा बन जाना मुझे याद आज भी है ।। बहुत याद आती है मुझे तेरी, दादी मां जाने कहां खो गई मेरी प्यारी दादी मां.... वो डाटती थी मुझे , मुझे बुरा लगता था पर दादी मां का वो डाटना मुझे याद आज भी हैं ।। कमी कुछ भी नहीं है आज मेरे पास ये भी दादी की दुआ का असर हैं , मगर दादी मां आज मेरे पास नहीं लगता है मानो पूरे जहान की कमी आज भी हैं ।। आज हूं मै बहुत धनी, रुपयों पैसों की कोई कमी नहीं, पर दादी मां की जेब में वो खनकते सिक्कों की कमी आज भी हैं ।। बहुत याद आती हैं मुझे तेरी, दादी मां जाने कहां खो गई मेरी प्यारी दादी मां.... जमाना बदल गया है आज , सभी ऐशों आराम यहां , मखमल के गद्दो पर सोते है आज, मगर दादी की गोद जैसा सुखचैन कहां । दौर आ गया  ए. सी. , कूलर , पंखों  का मगर दादी के वो बीजने

कूड़ादान by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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                      कूड़ादान                                                      देशवासियों कुछ गौर करो                          कूड़ेदान का उपयोग करो ।।                        रखा गया हूं मै बस तुम्हारे लिए                        मेरा पूर्ण रूप से इस्तेमाल करो,                कचरा नहीं फैलाना हैं भारत को स्वच्छ बनाना है। देशवासियों कुछ गौर करो कूड़ेदान का  उपयोग करो ।। मेरी कीमत समझो देशवासियों मैं बहुत उपयोगी हूं , बीमारियों से तुम्हे बचाता हूं । निरोगी तुम्हे बनाना हैं । नहीं चाहिए मुझे धन और दौलत मुझे तो बस कूड़े का दान करो । सबको यही बताना है कचरा नहीं फैलाना है , भारत को स्वच्छ बनाना हैं देशवासियों कुछ गौर करो कूड़ेदान का उपयोग करो ।। स्वच्छता की राह पर चलना हैं अपनी आदत को बदलना हैं कचरा कम हो या ज्यादा इधर उधर नहीं फेकेंगे , कचरा कूड़ेदान में ही डालेंगे , सबको यही सिखाएंगे । तभी तो हमारे बच्चे भी इसी आदत को अपनाएंगे । फैलाते है जो कचरा इधर उधर उनको ये समझना है , स्वच्छता को बढ़ाना हैं । करना है कुछ देश के लिए तो स्वच्छता में