ना छेड़ किस्सा-ए-मोहब्बत ( गज़ल ) ( Shayari ) __ विपिन दिलवरिया
ना छेड़ किस्सा-ए-मोहब्बत सितारों की नुमाईश लगी है, ये हसीं रात अब खिलने लगी है तेरे आने की खबर हुई जब, तेरी खुशबू से मेरी बगिया महकनें लगी है वो आये जब मेरी गली , मेरी सूनी गलियाँ चहकनें लगी है जो थमी हुई थी , तेरे आने से वो धड़कन अब धडकनें लगी है ना छेड़ किस्सा - ए - मोहब्बत, मेरी ख्वाहिशें अब बढ़ने लगी है ना देख मोहब्बत भरी नज़रों से ये चिंगारी अब भड़कनें लगी है अधुरी मोहब्बत थी "दिलवरिया" वो मोहब्बत अब पूरी होने लगी है __विपिन दिलवरिया