ज़िन्दगी क्या है ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
ज़िन्दगी क्या है
ज़िन्दगी क्या है इसको किसने जाना है ?
ज़िन्दगी क्या है इसको किसने जाना है ?
ना जाने कब कौन कैसे
सही गलत और गलत सही बन जाता है
ज़िन्दगी में सब कुछ भूल कर
अपनें बेहतर कल के लिये
अपनें आज को बर्बाद कर जाता है
ज़िन्दगी क्या है इसको किसने जाना है ?
ऐसा दौर भी आता है यहाँ
अपना पराया, पराया अपना बन जाता है
कभी ख़ुद को तो कभी
दूसरों को समझाना पड़ता है
कुछ रिश्तें कुछ जिम्मेदारियों के लिये
इन्सान को खुदगर्ज़ बन जाना पड़ता है
कई पहलु है इस ज़िन्दगी के
कुछ रिश्तें हमें निभातें है
कुछ रिश्तों को हमें निभाना पड़ता है
ज़िन्दगी क्या है इसको किसने जाना है ?
कुछ रिश्तों के लिये जीना पड़ता है
कुछ रिश्तों के लिये ख़ुद मर जाना पड़ता है
ये ज़िन्दगी अनसुलझी पहेली है
ज़िन्दगी खत्म हो जाती है
जब तक इन्सान ज़िन्दगी को समझ पाता है
ज़िन्दगी क्या है इसको किसने जाना है ?
ज़िन्दगी क्या है इसको किसने जाना है ?
__विपिन दिलवरिया
bht mehnat krte ho vipin bhai
ReplyDeleteThank u bhai 🙏
DeleteSupper nice
ReplyDeleteThank u 😊
Delete👌👌👌
ReplyDeleteThank u
DeleteShandaar 🌹🌹🌹
ReplyDeleteThank u so much
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