वक्त ( हिन्दी कविता ) ___विपिन दिलवरिया
" वक्त "
ये वक्त हर वक्त अच्छा नहीं होता
एक इन्सान सबके लिये अच्छा नहीं होता
वक्त बदल देता है हालतों को
हालात बदल देते है इन्सान को
वरना इन्सान इन्सान का बुरा नहीं होता
ये वक्त हर वक्त अच्छा नहीं होता
ये वक्त हर वक्त अच्छा नहीं होता
पेड़ की छाया हो या समुंद्र की गहराई
कौन जाने कब कहाँ कौन सी आपदा आई
भयावह दिन हो या काली रात छाई
ये वक्त कभी किसी के लिये नहीं रुकता
ये वक्त हर वक्त अच्छा नहीं होता
ये वक्त हर वक्त अच्छा नहीं होता
कभी शर्दी कभी गर्मी होती है
कभी सुखा कभी बारिश होती है
कभी कभी ये मौसम बेमौसम हो जाता है
हर मौसम सबके लिये अच्छा नहीं होता
ये वक्त हर वक्त अच्छा नहीं होता
___विपिन दिलवरिया
Bhut sunder kavitayein hai aapki
ReplyDeleteHal hi maine blogger join kiya hai aapse nivedan hai ki aap meri post ko pdhe aour mujhe sahi Disha nirdesh de
Mere blog post ki link
https://shrikrishna444.blogspot.com/?m=1
Ji bahut bahut dhanyvad .
DeleteM aapke blog jarur padhunaga . Thank u so much
Bahut achhe bhai ji
ReplyDeleteThank u so much
DeleteBadhia
ReplyDeleteThank u so much
DeleteNice
ReplyDeleteThank u so much
DeleteThank u
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