ये इश्क़ कोई गुनाह नहीं ( gazhal ) ( Shayari ) ___विपिन दिलवरिया
ये इश्क़ कोई गुनाह नहीं
त्याग भी है मोहब्बत बस पाना नहीं,
आग का दरिया है इश्क़ आसाँ नहीं
फूलों की रहों पे भी कांटे बिछे है,
दूरियाँ भले हो फासलें हो जाना नहीं
बड़े नसीबों से मिलती है मोहब्बत
यूं ही कोई बिखरा खज़ाना नहीं
शितम ढाती है मजबूरियाँ मगर,
सब कुछ भूले पर याद आना नहीं
यूं बदनाम ना कर मोहब्बत को,
मोहब्बत ज़िन्दगी है मर जाना नहीं
माना दुश्मन ज़माना इश्क़ का मगर,
इबादत है ये इश्क़ कोई गुनाह नहीं
मोहब्बत ख़ुदा बख़्श है"दिलवरिया"
किसी का लिबाश या गहना नहीं
ख़ुदा बख़्श - ख़ुदा का उपहार
__विपिन दिलवरिया
nice bhai
ReplyDeleteThank u bhai
DeleteSuperb
ReplyDeleteThank u so much bhai
DeleteAre waha
ReplyDeleteThank u
DeleteV.good
ReplyDeleteThank u brother
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