तिरंगे में तीन रंग है ( हिन्दी कविता ) ____विपिन दिलवरिया
तिरंगे में तीन रंग है
तिरंगे में तीन रंग है
सब रंग संग संग है
फिर काहे की जंग है
जात पात , ऊंच नीच
मज़हबों में खींचा तानी
एक दुसरे पर कसते व्यंग है
मैं हिन्दु तु मुसलमां
ये सिख वो इसाई इन
सब में बस इंसानियत तंग है
कोई गीता तो
कोई क़ुरान पढ़ता है
कोई गुरुग्रंथ तो
कोई बाईबल पढ़ता है
कोई मन्दिर तो
कोई मस्जिद जाता है
कोई गुरुद्वारा तो
कोई चर्च जाता है
कोई धूपबत्ती तो कोई
अगरबत्ती जलाता है
कोई सर को झुकाता है
तो कोई मोमबत्ती जलाता है
अलग रूप , अलग रंग है
इबादत सबकी एक है,
बस सबके अलग ढंग है
तिरंगे में तीन रंग है
सब रंग संग संग है
फिर काहे की जंग है
भेदभाव को दूर करो
अपने घमंड को चूर करो
हिंसा को त्यागो
अहिंसा के पुजारी बनो
जिसके अंदर एक नई उमंग है
जिसके अन्दर भाईचारे की तरंग है
वही इन्सान यहाँ मस्त मलंग है
हिन्दी हिन्दु हिंदुस्तान
सिख इसाई और
हिन्दु मुसलमान संग है
चारो मज़हब मेरे
देश के महत्वपूर्ण अंग है
तिरंगे में तीन रंग है
सब रंग संग संग है
फिर काहे की जंग है
jai hind
ReplyDeleteJai hind bhai
DeleteSahi baat hai par maanta koi nhi
ReplyDeleteNice
ReplyDeletejay bharat
ReplyDeleteJai hind🇮🇳
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