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Showing posts from December, 2020

इश्क़ के चक्कर ने हाल बड़े बेहाल कर दिये __विपिन दिलवरिया

  इश्क़ के चक्कर ने हाल बड़े                   बेहाल कर दिये जिसके  लिये  हमनें  ख़याल  बड़े कर दिये दो लफ्ज़ कहे  उसनें  बवाल खड़े कर दिये ज़मानें के फिक्र  छोड़  संभाला  था उनको सरे बाज़ार उसने हम कंगाल खड़े कर दिये सिवा दर्द के कुछ ना मिला इस मोहब्बत में इश्क़ के चक्कर ने हाल बड़े बेहाल कर दिये __विपिन दिलवरिया ( मेरठ )

ये चादर सियासत की है ( शायरी ) ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

           ये चादर सियासत की है  कहीं कफनखसोटी तो  कहीं छीनाखसोटी नज़र आती है ये चादर सियासत की है भाई, किसी की बड़ी तो  किसी की छोटी नज़र आती है पक्ष में हो तो उसकी दी हुई रोटी, विपक्ष में हो तो  उसकी की हुई खोटी नज़र आती है ये खुदग़र्ज़ी बड़ी खराब है भाई, इसमें लंगोटी धोती  और धोती लंगोटी नज़र आती है बात कड़वी हो तो निभा लेना बचके रहना वहाँ से जहाँ भी चोटीपोटी नज़र आती है बेईमान है ये  सियासत और सियासी लोग, बेच देते है ईमान जहाँ रकम मोटी नज़र आती है __विपिन दिलवरिया ( मेरठ ) चोटीपोटी - चिकनी चुपड़ी बात ,                  इधर उधर की बात कफनखसोटी - कंजूसी , सुमडापन  छीनाखसोटी -  छीना झपटी

यहाँ माँ बिन कोई कोन है ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

        यहाँ माँ बिन कोई कोन है माँ  प्रीत  है   माँ  मनमीत  है ! माँ की ममता बड़ी निराली है !! माँ की ममता  से जो वंचित  हुआ, जीवन  उसका   खाली   खाली है !! माँ  गीत   है   माँ   संगीत  है ! माँ  लोरी माँ  ही  कव्वाली है !! माँ  हर   मौसम   हर   त्योहार  है ! माँ   होली   माँ    ही   दिवाली  है !! जो  भी   दिया  मुझे   मेरी  माँ ने,  माँ की  हर  चीज  मैंने संभाली है !! माँ   लक्ष्मी    है   ,  माँ   पूजा  है ! माँ सरस्वती  माँ  ही  शेरावाली है !! माँ बहती  धारा  माँ  शान्त  पानी !  माँ दु:ख हरनी माँ ही रखवाली है !! देखी माँ  ने  जो  राह-ए-ज़िन्दगी, लगता  जैसे   मैंने   देखिभाली है !! माँ   वसुधा  है  माँ  व्योम है ! माँ   कोलाहल   माँ  मौन  है !! माँ  वासर  है   माँ  यामा  है ! माँ   विधु   है   माँ  स्योन  है !! माँ की पूजा सबसे बड़ी है जग में, बाकी सब की पूजा  यहाँ गौण है !! किसका वजूद क्या है"दिलवरिया", यहाँ   माँ   बिन   कोई   कोन  है !! "  कवि " विपिन दिलवरिया ( मेरठ )                             *** वसुधा - धरती  कोलाहल - ध्यान बटोरने वाली स्योन - सुर्य , किरण 

Part - 6 - Love shayari by Vipin Dilwarya

   Part - 6 - Love shayari (1) मोहब्बत किस  से  है  बड़ी  उलझन में  बैठा हुँ  याद उसकी आती है और मोबाइल उठा लेता हुँ (2) ज़िन्दगी पूरी बर्बाद हो गयी संभला ही था कि मोहब्बत फिर  से  एक  बार हो गयी (3) तुझे अपना बनाकर मैं रख लूँ   खुशियाँ देदूँ तुझे सारे जहाँ की  और गम को छुपाकर मैं रख लूँ  चिराग़ मोहब्बत का रौशन रहे रोशनी तेरे जीवन में भर दूँ और अंधेरा चुराकर मैं रख लूँ  (4) दो लफ्ज़ नहीं तु पूरी रुबाई है मेरे दिल में बस तु ही समाई है सब कुछ गवांया इस बाज़ार-ए-इश्क़ में  एक बस तु ही तो मेरी कमाई है (5) चाहकर छोड़ देने को  इश्क़ नहीं कहते,,,! छोडकर भी जो चाहे उसे इश्क़ कहते है,,!! (6) ये ज़मीन मेरा बिस्तर  आस्माँ मेरा कम्बल हो जाये कुछ भी तो नहीं चाहता  ज़िन्दगी से,पर तु मिल जाये  तो ज़िन्दगी मुकम्मल हो जाये (7) इश्क़ के राग से नहीं चलती है ये ज़िन्दगी  त्याग से चलती है (8) मैं तेरे लिये  सब कुछ कर सकता हुँ बस मर नहीं सकता,,,,,,!! मैं मर गया तो तेरे लिये  सब कुछ नहीं कर सकता,,,!! (9) आज  तर्क-ए-मोहब्बत  समझ में आया आज किसी ने वफ़ा  का किस्सा सुनाया खो गयी  थी  जो  कहीं  गुमनाम रहों पर  आज किसी ने मोह

Part - 7 - Heart broken shayari __Vipin Dilwarya

  Heart broken shayari (1) जब जब जिससे उम्मीद की  तब तब टूटकर बिखरा हुँ जख्म भी अब  तो मोहब्बत कर बैठा मुझसे तभी तो इतने  जख्म लेकर भी खुश दिखरा हुँ (2) ना कर बदनाम यूं ज़माने में एक उम्र लगती है इज़्जत कमानें में इतनी तोहमते ना लगा मेरे ऊपर कि ज़िन्दगी गुज़र जाये खुद को बेकसूर बताने मे (3) भरी महफ़िल उसनें इल्ज़ाम कुछ यूं लगया,,,,,!! मुझको गुनाहगार और ख़ुद को बेकसूर बताया,!! (4) आज  कल  वफाओं  से   हिजाब  कर  रहा हुँ,! उस ख्वाब सी  ज़िन्दगी का हिसाब कर रहा हुँ,!! आबाद हुई थी जो उसकी मोहब्बत से ज़िन्दगी,!  उस  आबाद  ज़िन्दगी  को  बर्बाद  कर  रहा हुँ,!! हिजाब - पर्दा  (5) रहगुज़र हमें मालूम है हमनें ख़ुद ज़िन्दगी दर-बदर की है,,!! मेरी बर्बादी बयां करती है हमनें  मोहब्बत किस  क़दर की है,,!! (6) ऐ खुशी अब मैं तेरा ना रहा,,,,,,,,,,,,,,,!! मैं नीलाम हो चुका हुँ ग़म के बाज़ार में,,!! (7) एक एक पल फुरक़त में कैसे आगे बढता है,,! और वो कहते है कि हमे क्या फर्क पड़ता है,,!! फुरक़त - वियोग, जुदाई (8) जिसे  होना था  दर - ओ - दीवारों  में वो   नीलाम     हो   रहा   बाज़ारों  में किस कदर बिगड़ा है आज ये मौसम -ए-मिज़ाज़

आज क्यों सड़कों पर किसान है ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

  आज क्यों सड़कों पर किसान है रसना   छप्पर   और   कच्चा   आँगन, टूटी  चप्पल  हाथ  में  बैल  की तान है,,!! फटी  धोती  टूटी  खाट  जिसकी यहाँ, समझो  वही  मेरे  देश  का  किसान है,,!! वफ़ा है मिट्टी से  मिट्टी उसकी आन है, यही मेरे देश के किसान की पहचान है,,!! उमड़ पड़ी है भीड़ सडकों पर देश की, सब कुछ  देखकर  भी  वो अनजान है,,!! ठिठुरती रात  और  हथेली पर प्राण है, सड़के  हुई  गुलज़ार   सहरा  वीरान है,,!! चीख चीखकर पूछ रहा है  वतन मेरा, क्यों सूने जंगल सूने  खेत खलिहान है,,? किस कदर बिगड़ा है आज ये मौसम-ए -मिज़ाज़ , यहाँ  हर  किसान परेशान है,,!! रोज़  खुदकुशी  कर  रहे  किसान यहाँ, बस कहने को अन्नपूर्णा और भगवान है,,!! गर सब कुछ ठीक है यहाँ अ हुक्मराँ, फिर आज क्यों सड़कों पर किसान है,,? कुछ तो हुआ है यहाँ  पूछ "दिलवरिया", आखिर क्यों देश का हुक्मराँ बेजुबान है,,? रसना - पानी रिसना सहरा - जंगल __विपिन दिलवरिया ( मेरठ )

Part - 9 - Thoughtfull Shayari __Vipin Dilwarya

    Thoughtfull Shayari (1) शाम यूं ही नहीं ढलती शाम ढलती है तो रात होती है बिगड़ना कोई बुरी बात नहीं बिगडते है बदल तो बरसात होती है बेवजह नहीं निकलती कोई बात जुबाँ से, हर बात में कुछ बात होती है (2) एक बात बताओ ना चाहते क्या हो ये बताओ ना शहीद हुए है जवान हमारे उनको इन्साफ दिलाओ ना पीस, शान्ती, चैन, अमन,  कब तक निभाओगे  छोडों ये अमन की बात  उसकी औकात दिखाओ ना (3) ये शाम दुल्हन सी कुछ ऐसे सज़ आई है,,,,,,,,,,!! मानो भोर की पहली किरण बारात लेकर आई है,!! (4) वो दूर खड़ा जो प्यारा सा मुखड़ा है,, वो मुखड़ा  मेरे  ज़िगर का टुकड़ा है,,😘😘 (5) सलीका सिखाते रहे जो खुशियों का ज़िन्दगी भर,,!! वो सबसे  महगें  बिके  है आज गम के बाज़ार में,,!! (6) कुछ तो बात है जो तेरा साथ है,,!! वरना लकीरे भी मेरे खिलाफ़ है,,,!! (7)                          ***   ए मुंतशिर तुमसे हमसा, हर कोई                  मुताशिर  नहीं  बन  सकता,,,   सब, सब कुछ बन सकते है मगर                  कोई मुंतशिर नहीं बन सकता,,,                                                *** (8) जो चाहनें वाले है आइये हम नजरें बिछायें बैठे है,,,,, दुश्मनी प

याद तेरी आती है बहुत ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

           याद तेरी आती है बहुत खुश हो जाता ज़र्रा ज़र्रा  दीवारें गुनगुनाती है बहुत घर के मेरे हर कौने को खुशबू तेरी महकाती है बहुत आ जाओ तुम लौटकर  याद तेरी आती है बहुत * * सूना है कमरा सूना है वो बिस्तर  जैसे फूलों से उड़ चले  हो तीतर  याद आती वो बाते  करते जो हम रात भर याद आती वो रातें  साथ जो गुज़ारी है बहुत आ जाओ तुम लौटकर  याद तेरी आती है बहुत * * गुज़रा जब जब उन रहों को याद  करता  तेरी  बाहों  को बाहों में आकर तेरा मिलना महसूस करता तेरी आहों को आती हो जैसे ही ख्वाबों में धड़कन मेरी बढ़ जाती है बहुत आ जाओ तुम लौटकर  याद तेरी आती है बहुत * * कह जाती है कानों में ये हवा मुझे जलाती है बहुत मुश्क़िल है बिछड़ के जीना  याद तेरी सताती है बहुत अधूरा है तुम बिन"दिलवरिया" बातें तेरी तडपाती है बहुत आ जाओ तुम लौटकर  याद तेरी आती है बहुत __ विपिन दिलवरिया ( मेरठ )

ख़ुद को बदनाम भी कर दिया ( गज़ल ) __विपिन दिलवरिया

  ख़ुद को बदनाम भी कर दिया   कोई  नाता ना  था जिसका  मैखानें से उसनें वहाँ अपना मुक़ाम भी कर दिया ज़ाम के नाम से  भी  अनजान  था जो उसने   ज़ाम  पे  ज़ाम  भी  कर  दिया जितना   बचाया  था   ज़मानें   भर  से  उसनें  ख़ुद  को  सरेआम भी कर दिया चाहत जो भी हुई पाने की, उसके लिये उसनें  सुबह  को  शाम  भी  कर  दिया लाख कोशिशे  की  समझानें  की मगर जो ना करना था वो काम भी कर दिया जितना किया  था  नाम  ज़मानें भर में उसनें  ख़ुद को  बदनाम भी  कर दिया  आँख     खुली     तो     ऐसी     खुली  उसनें यहाँ सब कुछ दान भी कर दिया इतना आसाँ   नहीं  किसी की फितरत  को     समझना     यहाँ    "दिलवरिया" बचाकर लाया था जो मुझे ज़मानें भर से उसने  ही  कत्ल-ए-आम  भी  कर  दिया मुक़ाम - पड़ाव , घर  __विपिन दिलवरिया ( मेरठ )