Part - 9 - Thoughtfull Shayari __Vipin Dilwarya

   Thoughtfull Shayari


(1)

शाम यूं ही नहीं ढलती
शाम ढलती है तो रात होती है

बिगड़ना कोई बुरी बात नहीं
बिगडते है बदल तो बरसात होती है

बेवजह नहीं निकलती कोई बात
जुबाँ से, हर बात में कुछ बात होती है

(2)

एक बात बताओ ना
चाहते क्या हो ये बताओ ना

शहीद हुए है जवान हमारे
उनको इन्साफ दिलाओ ना

पीस, शान्ती, चैन, अमन, 
कब तक निभाओगे 

छोडों ये अमन की बात 
उसकी औकात दिखाओ ना

(3)

ये शाम दुल्हन सी कुछ ऐसे सज़ आई है,,,,,,,,,,!!
मानो भोर की पहली किरण बारात लेकर आई है,!!

(4)

वो दूर खड़ा जो प्यारा सा मुखड़ा है,,
वो मुखड़ा  मेरे  ज़िगर का टुकड़ा है,,😘😘

(5)

सलीका सिखाते रहे जो खुशियों का ज़िन्दगी भर,,!!
वो सबसे  महगें  बिके  है आज गम के बाज़ार में,,!!

(6)

कुछ तो बात है जो तेरा साथ है,,!!
वरना लकीरे भी मेरे खिलाफ़ है,,,!!

(7)
                         ***
  ए मुंतशिर तुमसे हमसा, हर कोई
                 मुताशिर  नहीं  बन  सकता,,,
  सब, सब कुछ बन सकते है मगर
                 कोई मुंतशिर नहीं बन सकता,,,
                     
                         ***
(8)

जो चाहनें वाले है आइये
हम नजरें बिछायें बैठे है,,,,,
दुश्मनी पे उतरे हो कोई 
बात नहीं हम पहले ही
तुम्हारी कब्रे बनाएँ बैठे है,,,,,

(9)

जो मुझे समझ नहीं सकता,,,!!
वो मेरा कभी नहीं हो सकता,,!!

(10)

सच लिखा तो मैं अकेला हो गया,,,!!
झूँठ लिखा तो पीछे मेला हो गया,,,!!



 __विपिन दिलवरिया ( मेरठ )


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