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Showing posts from February, 2021

बड़ी रुला गई बहना आज तेरी विदाई _विपिन दिलवरिया

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बड़ी रुला गई बहना आज तेरी विदाई खुशियों की इस घड़ी में जाने क्यों आज मेरी आँख भर आई बड़ी रुला गई बहना आज तेरी विदाई जाने क्यों जहन में आज बीते दिनो की बात लौटकर आई मिन्नतो बाद वो रात आई श्रावण माह वो बरसात आई चहल पहल थी घर पर मेरे  घर में जमा थी खूब लुगाई वो पल मेरे समझ ना आया सब चहरों पर हंसी आई जब रोने की एक आवाज आई एक अलग सा शोर हुआ  और सब नें दी बधाई देखो घर में तुम्हारे  बिटिया आई बिटिया आई खिल उठी थी वो आँगनाई जब नन्हें पैर तेरे  खुशियों की सौगात लाई कदम पड़े थे घर में तेरे जब घर में थे हम भाई भाई खुशियों की इस घड़ी में जाने क्यों आज मेरी आँख भर आई बड़ी रुला गई बहना आज तेरी विदाई याद है तुझे वो कहानियाँ याद है तुझे वो शैतानियाँ जब  खेल-खेल  में   हम  करते थे बेईमानियाँ याद है वो बचपन की लड़ाई याद है वो बचपन की पिटाई याद है वो जब लैम्प के चारो  ओर बैठकर हम करते थे पढाई याद है वो पिताजी का पढाना  किताब लेकर जबरदस्ती बैठना याद है वो पढते पढते सो जाना और पिताजी की एक  आवाज पर नींद का उड़ जाना हँसते खेलते लड़ते झगड़ते  जाने  कब  दिन  गुज़र गये पिता की डांट से माँ के लाड़ से जाने  कब  दिन  संवर ग

Part - 11 - Thoughtfull Shayari __ Vipin Dilwarya

        Thoughtfull Shayari (1) गलतफहमी रखते है जो,  उन्हें बता दूँ ये सियासत अब वो पुरानी नहीं रही ये 21 वीं सदी का क्रन्तिकारी युग है अब वो 20 वीं सदी वाली बात पुरानी नहीं रही जागीर समझ बैठे है जो दिल्ली को,  उन्हें बता दूँ  ये दिल्ली किसी की खानदानी नहीं रही (2) घना  कोहरा  ठंड  बढ़ रही है  गरीबी फुटपात पर मर रही है ना सर पर छत है ना तन पर कपड़ा  जिसके सहारे  जीने  की उम्मीद थी वो धूप निकलने से डर रही है (3) चाहो तो बदल सकता है उनका नज़रिया तुम्हारे लिये ख़ुद एक बर बदलकर तो देखो ख़ुद ब ख़ुद संभल जाएगा ये ज़माना ख़ुद एक बार संभलकर तो देखो (4) देखो ये  जी  का  जंजाल  बन गया है,,! ये जनसैलाब आज सवाल बन गया है,,!! गुस्ताखी कर बैठी है ये हवायें दियो से,,! देखो ये दिया आज मशाल बन गया है,,!! (5) बहारें गयी अब ख़िज़ां चल रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,! कोई बताओ हुक्मरानों को फ़िज़ा बदल रही है,,!! (6) एक तरफ जवान है , एक तरफ किसान है  दोनों इस मिट्टी पर छिडकते अपनी जान है क्यों आमने-सामने  है  वो आज यहाँ, जिनकी होती एक दुसरे से पहचान है किस ओर जा रहा है वो देश, जिस देश  का  नारा  "जय जवान जय किसान&

ये कैसा लोकतन्त्र है ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

  ये कैसा लोकतन्त्र है जहाँ सच्चाई छुपाई जाती है  झूँठी खबर दिखाई  जाती है उसे प्रजातंत्र कहुँ  या राजतंत्र, जहाँ  हर  उठती  आवाज़  दबाई  जाती है ये कैसा लोकतन्त्र है जहाँ निहत्थो पर पानी  की  बौछारें  और  लाठिया चलायी जाती है तस्वीर जलाना वहाँ कोई बड़ी बात नहीं, जहाँ आधी रात बेटियां जलायी जाती है __विपिन दिलवरिया