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Showing posts from June, 2019

[ शायरी संग्रह ] * Part-1 * by Vipin Dilwarya

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[ शायरी संग्रह ] * Part-1 *

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

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  पेड़ों का दर्द हां मैं पेड़ हूं ,  मरने से मै भी डरता हूं  कटता जा रहा हूं दिन पर दिन कौन समझेगा मेरा दर्द यहां ।। ये इंसान है,  इंसान का दर्द नहीं समझता  मेरी क्या बिसात है , इंसान काटता है मुझे अपने लाभ के लिए नहीं सोचता किसी के बारे में यहां । दिखते नहीं हैं आंसू मेरे , रोता मै भी बहुत हूं कटते हुए , मैंने तुझे हवा दी , छांव दी , हरियाली दी , मुझे इसका सिला क्यों नहीं मिलता यहां । हां मैं पेड़ हूं , मरने से मै भी डरता हूं कटता जा रहा हूं दिन पर दिन कौन समझेगा मेरा दर्द यहां ।। तकनीकी के इस दौर में तू मुझे भूल गया , सोचता है तेरा विकास हो रहा है । मत काटो मुझे संभलजाओ ए इंसान , तेरा विकास नहीं तेरा विनाश हो रहा हैं । आज तुझे लगता है कि मेरी जरूरत नहीं यहां । काटते रहे मुझे इस कदर ए इंसान तू एक दिन मेरी छांव के लिए तरसेगा यहां । फर्क बस इतना है इंसान ,तुझमें और मुझमें  तू जो करता है अपने लिए करता हैं , तुझे बस अपना - अपना दिखता हैं , मैं तो तेरे लिए मर जाता हूं , मरने के बाद भी बाजारों में बिकता यहां । हां

कदम बढ़ाओ बेटी को पढ़ाओ by Vipin Dilwarya ( Published by newspaper & Amar Ujala kavya )

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   कदम बढ़ाओ                      बेटी को पढ़ाओ     कदम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ बेटे को पढ़ाते हो तो बेटियों को भी पढ़ाओ ।। अंतर नहीं है बेटा और बेटियों में ये बात सभी को समझाओ । कदम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ बेटे को पढ़ाते हो तो बेटियों को भी पढ़ाओ।। शिक्षा जीवन का आधार है पढ़ो - पढ़ाओ शिक्षा हमारा अधिकार है । सबको बताओ सबको बताओ शिक्षा हमारा अधिकार हैं ।। पढ़ - लिखकर करना जीवन का उत्थान हैं , बेटे पढ़ते है तो बेटियों के भी कुछ अरमान हैं । जीवन के इस खेल में दोनों का बराबर  का योगदान हैं । कैसे समझाऊं मैं उन लोगो को जो करते है अंतर बेटा और बेटियों मे बताओ , एक बात कहूं मैं सबसे जो अब तक ना समझे उन सबको समझाओ । ऐसे समाज का निर्माण करो शिक्षा को जीवन का आधार बनाओ , सबको बताओ सबको बताओ शिक्षा को जीवन का आधार बनाओ । कदम बढ़ाओ कदम बढ़ाओ , बेटे को पढ़ाते हो तो बेटियों को भी पढ़ाओ ।। जन्म दिया जिस मां ने वो जान से प्यारी होती हैं , पाल - पोषकर बड़ा किया जिस दादी मां ने वो जान से प्यारी होती हैं , दोस्त बनकर साथ

मदर ऑफ सोल्जर by Vipin Dilwarya ( published by newspaper & Amar Ujala kavya )

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    मदर ऑफ सोल्जर     जन्म दिया फौजी को उस मां पर हमें अभिमान है । भेज दिया सपूत को देश के लिए उस मां से बड़ा जिगर नहीं याद ना करे सपूत को , ऐसा कोई वक्त नहीं । फौजी होता है बहादुर,  फौजी होता है साहसी इसमें कोई शक नहीं। जिस मां ने उसे जन्म दिया है क्या उसका कोई हक नहीं। लड़ता है फौजी देश के लिए  मिटता है फौजी देश के लिए उस फौजी का सम्मान है। देता है बलिदान देश के लिए जो देशवासियों का जीवनदान है । जन्म दिया फौजी को उस मां पर हमें अभिमान है ................... उस मां पर हमें अभिमान है । नहीं परवाह उसे अपनी जान की उसे परवाह है तिरंगे की शान की । सोचता नहीं कभी अपने बारे में सोचता है पूरे हिन्दुस्तान की । सीने में उसके एक तूफान है  दिखाएगा जो आँख दुश्मन, दुश्मन का घर शमशान है । नहीं कर सकता वार दुश्मन  हिन्दुस्तान पर , क्योंकि हिन्दुस्तान ही फौजी का जहान है । जन्म दिया फौजी को उस मां पर हमें अभिमान है .................... उस मां पर हमें अभिमान है ।      

मोहब्बत की कहानी by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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  मोहब्बत की कहानी तू मुझे चाहती है मै तुझे चाहता हूं, ये हम दोनों की कहानी है । । यूं तो कम नहीं है हमारी मोहब्बत एक दूजे लिए । मगर वक्त का खेल कुछ ऐसा है कि मतभेद हो जाते है दिलो के दरमियान, बदल जाती हम दोनों की वाणी हैं । । तू मुझे चाहती हैं मै तुझे चाहता हूं, ये हम दोनों की कहानी हैं । । रूठता हूं मै तुझसे ये सोचकर , तू मनाएं मुझे बड़े प्यार से ये मेरे दिल की जुबानी है । मनाने से पहले वो तेरा रूठ जाना मुझे बहुत खलता है । तु मुझे कितनी मोहब्बत करती है मुझे तब पता चलता है । । गलत मैं नहीं हूं , गलत तू भी नहीं है ये समय की कहानी है , यूं तो कम नहीं है हमारी मोहब्बत  एक दूजे के लिए । तू मुझे चाहती है मै तुझे चाहता हूं , ये हम दोनों की कहानी हैं । । By_Vipin Dilwarya

सफर By Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya mere alfaz )

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                          सफर ऐ इंसान      तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है ।    थोड़ी देर का तो ठहराव है , सफर फिर शुरू होता है ऐ इंसान         तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है ....   मौत सफर का अंत नहीं ,   इसलिए ही तो पुनर्जन्म होता है ,  कितने भी राज दफन हो सीने में       ईश्वर के दरबार में सबका खुलासा होता है । ऐ इंसान    तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है      सफर कब खत्म होता हैं....      ये कर्मो का लेखा - जोखा ही तो है ,     जिस कारण सफर खत्म नहीं होता तु कर्म कर    कर्मो में ही तो स्वर्ग - नरक छुपा होता हैं ।  ऐ इंसान      तु कर्म कर सफर कब खत्म होता हैं सफर कब खत्म होता हैं ...... मतलब के लिए क्या - क्या नहीं करता इंसान, इंसान अपने ही बुने जाल में फंसा होता है । अच्छे कर्म वो है जो दूसरो को खुशियां दे सम्मान दे , अपना - अपना चाहने वालो का कहां भला होता हैं । ऐ इंसान तु कर्म कर सफर कब खत्म होता हैं सफर कब खत्म होता है...... दो रास्ते, एक नेकी का दूसरा मोहमाया का , इंसान नेकी को छोड़ मोहमाया के जाल में फंसा होता हैं ।

बदनाम by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

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बदनाम तेरी मोहब्बत में मैं बदनाम हो गया तुम्हे इसकी कोई फ़िक्र नहीं , जपते थे नाम हमारा रात-दिन  आज हमारा कोई ज़िक्र नहीं, रह जाओगे जब तुम तन्हा अकेले याद करोगे फिर हमको  होगी फिर हमारी क़दर वहीं, नहीं मिल पाऊंगा मैं तुमको  ढूंढ़ते रह जाओगे, हां ... दरबदर भटकोगे  मिलूंगा फिर , फिर हमारा ज़िक्र होगा ज़िक्र होगा कब्रिस्तान का होगी हमारी कब्र वहीं,                     क्योंकि तेरी मोहब्बत में मैं बदनाम हो                                                             गया। _ By_Vipin Dilwarya                             

डगमगाते कदम by Vipin Dilwarya ( Published by newspaper & Amar Ujala kavya )

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डगमगाते कदम मैने डगमगाते क़दमों को देखा है  उन बूढ़ी हड्डियों  को  लाठी का सहारा लेते देखा है । पाल- पोशकर बड़ा किया जिस औलाद को  उस औलाद के हाथो उनको घर से निकालते देखा है । इसे कर्मो का फल कहूं या उसकी बुरी संगत का असर  उम्मीदों   के ऐसे मजबूत बांध को  टूटते देखा है । सही से उनके दर्द को  महसूस भी ना कर पाया था  कि उनकी आंख से आंसू निकलते देखा है । जिन हाथों ने कभी उन्हें चलना सिखाया  उन्हीं हाथों को  उनके सामने फैलाते देखा है । रोटी के जिस निवाले को उन्होंने खुद न खाकर उनको खिलाया आज उस रोटी  के एक निवाले के लिए   तरसते देखा है । लगता है उनकी जिंदगी  का सफर   बस कुछ दिनों का है फिर ए दो जहां के मालिक  उनको तुझसे मौत मांगते देखा है । मैंने डगमगाते कदमों को देखा है । By. Vipin Dilwarya