बदनाम by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

बदनाम


तेरी मोहब्बत में मैं बदनाम हो गया

तुम्हे इसकी कोई फ़िक्र नहीं ,

जपते थे नाम हमारा रात-दिन 

आज हमारा कोई ज़िक्र नहीं,

रह जाओगे जब तुम तन्हा अकेले

याद करोगे फिर हमको 

होगी फिर हमारी क़दर वहीं,

नहीं मिल पाऊंगा मैं तुमको 

ढूंढ़ते रह जाओगे,

हां ... दरबदर भटकोगे 

मिलूंगा फिर ,

फिर हमारा ज़िक्र होगा

ज़िक्र होगा कब्रिस्तान का

होगी हमारी कब्र वहीं,
       
            क्योंकि तेरी मोहब्बत में मैं बदनाम हो 
                          
                                गया।_


By_Vipin Dilwarya 

                          

Comments

  1. Kon h vo ldki hmmm btara nhi muje

    ReplyDelete
  2. dil ko chu gaya vipin bhai...nice line

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )