Posts

Showing posts from June, 2020

अभी तो संघर्ष कर रहें हैं ( हिन्दी कविता ) ___ विपिन दिलवरिया

              अभी तो संघर्ष कर रहें हैं ना अर्श पर , ना फर्श पर  रह रहें हैं जीवन में अभी तो  संघर्ष कर रहें हैं!! नासमझों की दूनियाँ में कम लोग है जो  सही गलत  में  फर्क  कर रहें है!! दुश्मन-ए-ज़िन्दगी की जरुरत ही नहीं  जो लोग ख़ुद की आस्तीन देख रहें है!! बेवजह कुछ भी नहीं यहाँ, कामयाब  वही जो हर वजह पर तर्क कर रहें हैं!! विफल होते है  वो  लोग जो किस्मत की लकीरों  का  निष्कर्ष  कर  रहें हैं!! मंजिलें कदम चूमती है उन लोगो के जो  महनत वर्ष  दर  वर्ष  कर  रहें है!! सब कुछ  पाकर  भी  खो  देते है वो  जो दूसरों  के  घर में  घर  कर  रहें है!! गज़ल-ए-रहबर  है  तेरी "दिलवरिया"  लोग ज़माने भर तेरा ज़िक्र कर रहें है!! __विपिन दिलवरिया 

Part - 5 Heart broken💔shayari by Vipin Dilwarya

      Heart broken💔shayari (1) जो लोग बेशर्त प्यार करते है हक़ीक़तन वही प्यार करते है जो लोग शर्तो पे प्यार करते है वो प्यार नहीं व्यापार करते है (2) आज कल हम  इश्क़ नहीं करते जनाब इश्क़ की शाख पे वफ़ा ने उगना छोड़ रखा है (3) मैं तो बातों से खेलता हुँ साहब ज़माना तो जज्बातों से खेलता हैं (4) इश्क़  का  करोबार बन्द कर चुके है साहब... अब कुछ नहीं बचा बर्बाद  करने  के  लिये... (5) तकलीफ़ों के दायरों से मैं कभी निकल ना पाया... कोशिशें बहुत की, मैं उन हदों को कभी पार ना कर पाया... आज भी वहीं हुँ मैं, उसकी मोहब्बत से कभी आज़ाद ना हो पाया... (6) ग़रीब हुँ साहब मोहब्बत करने का हक़ नहीं रखता हुँ लोग बिकतें है इश्क़ के बाज़ार में मैं  कीमत   अदा   नहीं  कर  पाता  हुँ (7) इश्क़ की दूनियाँ में मोहब्बतों के बड़े अजीब मेले है चाहतों के अनसुलझें फेरे है ना हम  तेरे  है  ना वो  मेरे है (8) क्या लिखूं  मैं दर्द - ए - गम हाल - ए - दिल किसी को सुना ना सका टूटकर चाहा था जिस दिल को एक उस दिल को मैं अपना बना ना सका By _ Vipin Dilwarya

ज़िन्दगी अब मौत लगने लगी है (Shayari ) by Vipin Dilwarya

ज़िन्दगी अब मौत लगने लगी है तेरे शहर की गलियों में भी ज़िन्दगी बौर लगने लगी है खामोशियां भी गैर हो गई ये भी  शौर  करने  लगी है बड़ी बेरुखी है इन हवाओं में खफ़ा खफ़ा सी लगने लगी है तेरे बगैर बड़ा बेज़ार सा हो गया हुँ ये ज़िन्दगी अब मौत लगने लगी है By _ Vipin Dilwarya 

Part - 5 - Thoughtfull Shayari by Vipin Dilwarya

            Thoughtfull Shayari (1) होंगे तुम दौलत से अमीर हम विचारों से अमीर होते हैं तुम चादर ओढ़कर सोते हो हम आसमान ओढ़कर सोते हैं (2) जो अमीर गरीब का शोषण करते है वही  गरीब   उन्हें   अमीर  बनातें है जिसको   तुम   ग़रीब   कहते   हो वो ग़रीब तुम्हारे कारोबार चलाते है जिस  अन्न  से  तुम भूख मिटाते हो वही ग़रीब  उस  अन्न  को  उगाते हैं (3) मैं वो तारा हुँ ख़ुद टूटकर भी दूसरों की ख्वाहिशें पूरी कर जाता हुँ (4) ज़िन्दगी में कुछ करने के लिये भी कुछ करना पड़ता है... कुछ करोगे तो कुछ कर पाओगे मन में ठांनोगे तो कुछ बन पाओगे... केवल सोच का विस्तार करने से कुछ नहीं होता, जो सोचा है उसका परिपालन करना पड़ता है... (5) हम मज़दूर है मजबूर नहीं हम ग़रीब है कमजोर नहीं (6) एक उम्र थी जब थोड़ी सी खुशी, थोड़े से ग़म थे इस ज़िन्दगी में, मगर शान से बस चिल करता रहा..!! एक उम्र आज है ,  नाम , रुतबा, पैसा , शौहरत  सब  कुछ होते हुए भी बस सुकून तलाशता रहा..!! (7) बोलना हमनें सिखाया जिसे आज वो हमें मशवरा दे रहें है ज़िन्दगी भर आँसू दिये जिसने खुदखुशी पर वो मेरी

" ये रोग भी अज़ीब है " ( कोरोना ) by Vipin Dilwarya

           " ये रोग भी अज़ीब है " ( कोरोना ) नफ़रतों के बाज़ार में अब  ज़िन्दगी का मोल करने लगे है ये कैसा दौर कोरोना का अब  अपने ही अपनो से डरने लगे है निकलते थे जो हमारी एक  झलक पाने के लिये गलियों से वो आज हमारी गलियों में भी आने से डरने लगे है ये मौसम भी बेगाना सा है ये बादल  भी  खफ़ा से है जो मुस्कराकर बात करते थे वो बादल भी आज बरसनें लगे है नफ़रतों के बाज़ार में अब  ज़िन्दगी का मोल करने लगे है ये कैसा दौर कोरोना का अब  अपने भी पराये से लगनें लगे है ये दौर भी अज़ीब है ये रोग भी अज़ीब है इन्सान अमीर है मगर सोच से ग़रीब है दिखा दिया कोरोना ने यहाँ कोई  ना क़रीब है एक तरफ खौफ़ है एक तरफ शोक है एक तरफ चेहरें पर हंसी एक तरफ दिल में भरा द्वेष है जिसमें दिखता था अपनापन आज उनके स्वार्थ भी दिखने लगे है नज़दीकियां तो दिखावे की थी आज उसे भी दूर करने लगे है कोई अपना नहीं यहाँ, अपना  कहने वाले ही परहेज़ करने लगे है नफ़रतों के बाज़ार में अब  ज़िन्दगी का मोल करने लगे है ये कैसा दौर कोरोना का अब  अपने ही अपनो से डरने लगे है By _ Vipin Dilwar

तेरे चेहरे में नूर है by Vipin Dilwarya

 तेरे चेहरें में नूर है संगमरमर   सा    तेरा  बदन माना   तेरे   चेहरें   में  नूर  है नूर ए हुस्न   ना    हो    मगर  ज़माने में  हम  भी  मशहूर है ज़ुर्म बस  इतना  सा कर  बैठे तेरे हुस्न  के   दीवाने  हो  बैठे एक   तेरे    प्यार    के   लिये ख़ुद को ख़ुद से ज़ुदा कर बैठे गुरुर ए हुस्न  है तुझे  तो करो ये  तो   दुनिया  का  दस्तूर है तु    लाख     तोहमतें    लगा  तेरा   हर   इल्ज़ाम  मंजूर  है ख़ता    तो    की    है   हमनें  इतना      भी        जरुर    है गुस्ताखी   नजरों   ने   की  है मगर   दिल   मेरा   बेकुसुर है __विपिन दिलवरिया 

Part - 4 - Thoughtfull Shayari by Vipin Dilwarya

      Part - 4 - Thoughtfull Shayari (1) ख़ता तो बहुत बड़ी कर बैठे ज़िन्दगी का पता मौत से पूछ बैठे (2) Selfie का दौर है साहब तुम Selfie लो Image बनाना इतना आसान नहीं... (3) समझ लेना सब कुछ पा लिया अगर ख़ुद में ख़ुद को पा लिया (4) बड़ा नादान... बड़ा अनजान सा हूँ मैं... मुझे सब कुछ यूं ही भा जाता है.... मुझे गद्दारों की पहचान नहीं... मगर जब गद्दारी की बात आती है... ना जाने क्यूं तेरा चेहरा याद आ जाता है.... (5) माना वो आग का दरिया है कामिल भस्म नहीं होता मॉम है पिघल जाता है मगर  कामिल  खत्म नहीं होता (6) नफ़रतों के बाज़ार मे हो सके तो एक अमन का बीज़ जरुर बोइयेगा..... उगा..तो चैन-ओ-अमन की    खुशबू    फैलायेगा..... नहीं उगा..तो खाद्य रुपी एक वैचारिक आगाज जरुर दे जाएगा..... (7) ज़िन्दगी गुज़रती जा रही है.... कुछ मिलें या ना मिलें मगर तज़ुर्बे दिये जा रही है.... (8) गुरुर  तो   दरिया  का  भी  टूट जाता हैं जब ज़माने की प्यास से उलझ जाता है (9) माना जैसा दिखता हुँ वैसा नहीं हुँ मगर जैसा बताते हो वैसा भी नही हुँ By _ Vipin Dilwarya

डॉ0 भीमराव अम्बेडकर by Vipin Dilwarya

डॉ0 भीमराव अम्बेडकर  (1) एक ललकार करो स्वीकार.... चारों और करो जय भीम की पुकार... (2) गली-गली शहर-शहर और हर चौबरें.... नहीं रुकेंगे नहीं थामेंगे चारों और गूंजेगे अब जय भीम के नारे.... (3) जब तक हैं जान में जान.. तब तक रहेगा भीम का नाम.. By_ Vipin Dilwarya