Part - 4 - Thoughtfull Shayari by Vipin Dilwarya
Part - 4 - Thoughtfull Shayari
(1)
ख़ता तो बहुत बड़ी कर बैठे
ज़िन्दगी का पता मौत से पूछ बैठे
(2)
Selfie का दौर है
साहब तुम Selfie लो
Image बनाना इतना आसान नहीं...
(3)
समझ लेना सब कुछ पा लिया
अगर ख़ुद में ख़ुद को पा लिया
(4)
बड़ा नादान...
बड़ा अनजान सा हूँ मैं...
मुझे सब कुछ यूं ही भा जाता है....
मुझे गद्दारों की पहचान नहीं...
मगर जब गद्दारी की बात आती है...
ना जाने क्यूं तेरा चेहरा याद आ जाता है....
(5)
माना वो आग का
दरिया है कामिल भस्म नहीं होता
मॉम है पिघल जाता
है मगर कामिल खत्म नहीं होता
(6)
नफ़रतों के बाज़ार
मे हो सके तो एक
अमन का बीज़ जरुर बोइयेगा.....
उगा..तो चैन-ओ-अमन
की खुशबू फैलायेगा.....
नहीं उगा..तो खाद्य रुपी
एक वैचारिक आगाज जरुर दे जाएगा.....
(7)
ज़िन्दगी गुज़रती जा रही है....
कुछ मिलें या ना मिलें
मगर तज़ुर्बे दिये जा रही है....
(8)
गुरुर तो दरिया का भी टूट जाता हैं
जब ज़माने की प्यास से उलझ जाता है
(9)
माना जैसा दिखता हुँ वैसा नहीं हुँ
मगर जैसा बताते हो वैसा भी नही हुँ
By _ Vipin Dilwarya
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