अभी तो संघर्ष कर रहें हैं ( हिन्दी कविता ) ___ विपिन दिलवरिया
अभी तो संघर्ष कर रहें हैं
ना अर्श पर , ना फर्श पर रह रहें हैं
जीवन में अभी तो संघर्ष कर रहें हैं!!
नासमझों की दूनियाँ में कम लोग है
जो सही गलत में फर्क कर रहें है!!
दुश्मन-ए-ज़िन्दगी की जरुरत ही नहीं
जो लोग ख़ुद की आस्तीन देख रहें है!!
बेवजह कुछ भी नहीं यहाँ, कामयाब
वही जो हर वजह पर तर्क कर रहें हैं!!
विफल होते है वो लोग जो किस्मत
की लकीरों का निष्कर्ष कर रहें हैं!!
मंजिलें कदम चूमती है उन लोगो के
जो महनत वर्ष दर वर्ष कर रहें है!!
सब कुछ पाकर भी खो देते है वो
जो दूसरों के घर में घर कर रहें है!!
गज़ल-ए-रहबर है तेरी "दिलवरिया"
लोग ज़माने भर तेरा ज़िक्र कर रहें है!!
__विपिन दिलवरिया
Badhiya
ReplyDeleteBahut khoob
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