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Showing posts from May, 2020

दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

 दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा है छोड़ दी वो बदनाम गलियाँ  साहब इसलिये  आज कल खूबियाँ कम और कमियाँ ज्यादा है.... सच्चाई  की  गलियों  में ईमानदारी का आशियानाँ है अब हमारा इसलिये दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा है.... और गैरो से गिला क्या करें मेरी   परछाई   भी   मेरे   खिलाफ़  है  ए ख़ुदा अब तु भी बता दें तेरा क्या ईरादा है.... __विपिन दिलवरिया 

" मेरी आयत नहीं पूरी कुरआन है तु " by Vipin Dilwarya

    " मेरी आयत नहीं पूरी कुरआन है तु " मेरा इश्क़ है  तु  मेरा ईमान  है  तु मेरी आयत नहीं पूरी कुरआन है तु इस कदर तेरे इश्क़ में टूट चुका हूँ  बीच  भंवर  में  जैसे  डूब चुका  हूँ  सासें थम चुकी धड़कनें नहीं रुकी है पलके झुंक चुकी है आस नहीं टूटी है महताब है तु  मेरा  आफ़ताब  है तु मेरे धड़कते  दिल की  आवाज़ है तु मेरी  जान  है  तु  मेरा जहान  है  तु मेरी चाहतों का खुला आसमान है तु मेरी अज़ान  है तु मेरा रमज़ान है तु मेरी आयत नहीं पूरी कुरआन  है तु __विपिन दिलवरिया 

"अश्क़ बहाकर समन्दर भरे है" ( Song ) by Vipin Dilwarya

            "अश्क़ बहाकर समन्दर भरे है"                         ( Song ) ए ख़ुदा... मोहब्बत की वो  कौन सी किताब है जिसमे... लिखा  हर  आशिक़  का  हिसाब  है काश पढ़ लिया होता... तो   सच्चा   इश्क़  ना  करता  मैं भी मुझे क्या पता... सच्चे इश्क़ में  बिछडनें का रिवाज़ है : Music:;;;;;;;;;;;;;;;;;;,,,,,,,,,,,,,,,, : अश्क़ बहाकर   समन्दर भरे है तेरे  दिये   जख्म   सारे  हरे  है.... तेरे   बगैर    कैसे    जीएँ   हम ज़िन्दा है लेकिन  कब के मरे है.... अश्क़  बहाकर  समन्दर  भरे है ख़ुद में है  लेकिन  ख़ुद से परे है.... खौफ़   नहीं   इस  ज़िन्दगी  से डरते नहीं लेकिन ख़ुद से डरे है.... Music :;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;,,,,,,,,,,,, दिल का करें  क्या  तु इतना बता मोहब्बत करी  है  या की है ख़ता..... : ख़ुद को संभालें  तो कैसे संभालें तूने   है  की  मुझपें  इतनी जफ़ा..... 2 अब तक सनम  बस  दर्द  सहे है इश्क़  में   तेरे   पल  पल  मरे  है.... अश्क़  बहाकर   समन्दर  भरे  है ख़ुद  में  है  लेकिन  ख़ुद से परे है.... खौफ़   नहीं    इस   ज़िन्दगी  से डरते नहीं  लेकिन  ख़ुद 

सच्चे इश्क़ में बिछडनें का रिवाज़ है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

सच्चे इश्क़ में बिछडनें का रिवाज़ है ए ख़ुदा...  मोहब्बत की  वो  कौन सी किताब है जिसमे...  लिखा  हर  आशिक़  का  हिसाब  है काश पढ़ लिया होता... तो   सच्चा   इश्क़  ना  करता  मैं भी मुझे क्या पता...  सच्चे इश्क़ में बिछडनें का रिवाज़ है __विपिन दिलवरिया 

Part - 3 " Love shayari " by Vipin Dilwarya

Part - 3 Love shayari (1) काई सी ज़म गई है तेरी यादों पर  आज भी तेरी यादें हरी सी रहती है (2) तेरी डूबती कश्ती को साहिल पर ले आऊंगा मैं वो रहनुमा हूँ तुझे  मंजिल तक ले जाऊंगा (3) फिज़ूल  है  सारी  दलीलें   सारे  गवाह  मोहब्बत की अदालत में  यहाँ इन्साफ मिलता है ना सुकून ये झूँठें, फरेबी, धोखेबाजो की मण्डी है  यहाँ  कोई  नही  जीता  सदाकत  में (4) हाल पुछा... वो झूँठ बताते है... खयाल पुछा... वो चुप हो जाते है... कुछ ना पुछा... तो वो रूठ जाते है... (5) बड़ी मशहूर मेरी कहानियाँ.... मैं शायर बड़ा बद्तमीज़ अ.... बदनाम आशिक़"दिलवरिया".... फिर भी जहाँ-ए-इश्क़ मुरीद अ.... (6) निगाह का हक है उस चेहरें को देख के आह निकलती है जिस चेहरें को (7) तु ही नज़र आती है जब पलकें झपकतें हैं जब पलकें उठती है  बस आँसू  टपकतें हैं (8) हम ख़ुद में गुम हो गये हैं जब से,वो आप से तुम हो गये हैं (9) आ जाओ मेरी प्रीत बनकर आ जाओ मेरी उम्मीद बनकर इश्क़ भी मुरीद है तेरे चेहरा का लेकर अपना  चाँद 

ख्वाबों में मुलाक़ात हो जाये ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

ख्वाबों में मुलाक़ात हो जाये आज खुद से..  कुछ सवालात हो जाये.. चलो सो के देखतें है.. क्या पाता ख्वाबों में मुलाक़ात हो जाये.. आरज़ू तो.. फ़कत एक दीदार की है.. क्या पाता आज उनसे कुछ बात हो जाये.. वो कहते रहें.. मैं सुनता रहा बड़े इतमिनान से.. क्या पाता कब कौन सी बात खास हो जाये.. __विपिन दिलवरिया 

एक रोटी ( हिन्दी कविता ) by Vipin Dilwarya

                     " एक रोटी " "एक रोटी" के लिये ना जाने क्या-क्या करना पड़ता हैं..! ज़िन्दगी के हर हालात हर दौर से गुज़रना पड़ता है..! दिन - रात , सुबह - शाम  कभी  यहाँ , कभी   वहाँ दर-दर की ठोकर खाना पड़ता है..! कड़कड़ाती ठंड हो या हो  तपती  गर्मी "एक रोटी" के लिये खून पसीना एक करना पड़ता है..! "एक रोटी" अपना बना देती है "एक रोटी" दुश्मन बना देती है "एक रोटी" फ़कीर बना देती है "एक  रोटी"   चौर  बना देती है "एक रोटी" के लिये ज़िन्दगी भर भटकना पड़ता है..! जो रोटी बख़्शती है  ज़िन्दगी , उस रोटी के लिये  एक  दिन  मर  जाना  पड़ता है..! "एक रोटी" के लिये बहुत  कुछ  करना  पड़ता हैं..! बहुत कुछ छिपाना पड़ता है बहुत कुछ दिखाना पड़ता है कुछ लोगों को हसाँना पड़ता है कुछ लोगों को सताना पड़ता है कभी-कभी "दिलवरिया" खुद का तमाशा बनाना पड़ता है..! "एक रोटी" के लिये हद से  गुज़र  जाना  पड़ता है..! "एक रोटी" के लिये ना जाने क्या-क्या करना पड़ता हैं..! __व

कसम है मुझे... ( Song ) by Vipin Dilwarya

             कसम है मुझे... ( Song )               कसम...है मुझे..  तेरे प्यार की............ कसम...है मुझे.. तेरे प्यार की............ जरूरत है मुझे.. तेरे दीदार की........... Hmmm............... देखा तुझको जबसे ये दिल कहे है तबसे मेरी ज़िन्दगी अधूरी बिना तेरे हम तरसे दूर है तु मुझसे ना जाने कबसे दिल चाहता है  तु क़रीब आजा सबसे दिलवरिया.. कह रहा..... इंतेहा.. हो गई तेरे इंतेज़ार की... कसम...है मुझे.. तेरे प्यार की.......... कसम...है मुझे.. तेरे प्यार की.......... जरूरत है मुझे.. तेरे दीदार की.......... Hmmm................ ये कैसी घटा छाई बेमौसम बरसात आई आंख से गिरके आसूँ जमीं पे टपके दिल के जज़्बात मेरे बनके बारिश बरसे ये रूह... कह रही... ज़िन्दगी.. हो गई बिन तेरे बेज़ार सी... कसम...है मुझे.. तेरे प्यार की.......... कसम...है मुझे.. तेरे प्यार की.......... जरूरत है मुझे.. तेरे दीदार की.......... Hmmm................ By _ Vipin Dilwarya

कहां से आयी है... ( रैप सोंग ) by Vipin Dilwarya

          कहां से आयी है... ( रैप सोंग )             1 नंबर  है यार ऐ सुन , सुन ना ये मेरे दिल की आवाज मैंने बात ना बनाई है कहां से आयी है तु मेरे दिल में समाई है फिगर तेरा ऐसा लगता जैसे फुर्सत से बनाई है किधर जा रही है सुन ना ऐसे इग्नोर ना कर चल तेरी तारीफ करता हूं सुन लहराते तेरे बाल बल खाती तेरी चाल अदाएं तेरी कातिल तु लगती  है  कमाल सुन दिलवरिया की बात आजा मेरे साथ सुरो की तु रानी मैं हूं बजते संगीत का साज घुमाऊंगा लंडन पेरिस घुमाऊंगा आगरा का ताज़ मैं हूं तेरा अकबर तु है मेरी रानी मुमताज़ सुन मेरी बात .. सुन मेरी बात... ये ... ये..... ये मेरे दिल की आवाज मैंने बात ना बनाई है कहां से आयी है तु मेरे दिल में समाई है फिगर तेरा ऐसा लगता जैसे फुर्सत से बनाई है किधर जा रही है सुन ना ऐसे इग्नोर ना कर सुन तेरा ऐटिट्यूड नीचे गिरा दूंगा ज़माने को मैं ये करके दिखा दूंगा इशारों पे तुझको मैं अपने नचा दूंगा तेरे नाम के आगे अपना सरनेम लगा दूंगा तुझको पटा लूंगा तुझे तुझसे चुरा लूंगा ज़माने के आगे एक दिन तुझे अपना बना लूंगा तुझे अपना बना लूं

चर्चे है अपने ठाठ के " रैप सोंग " by Vipin Dilwarya

         चर्चे है अपने  ठाठ के " रैप सोंग " ओडी सोड़ी लेके चाल्ले ऐसे  अपने  शौक  है ऐसी  कोई  गाड़ी नहीं  जो  नी  अपने पास  है , किसी चीज की कमी नहीं  धन  दौलत  यूं  लूटारिया रुतबा  है  आज  भाई  का यार  अपना  दिलवारिया हथियारा की कमी नहीं सुन  ले भाई  की  बात न जो कोई साला उच्चा बोले खड़े  मैं  गोली  ठोक  दे देशी  अंग्रेजी  दारू के ब्रांड  है  सारे टॉप  के सारे  भाय्या  न  बैठ के पीते  है  मिल  बांट के भाई किसी से कम नहीं चर्चे  है  अपने  ठाठ के By _ Vipin Dilwarya 

लव यू बाबू बोलती है " रैप सोंग " by Vipin Dilwarya

लव यू बाबू बोलती है " रैप सोंग " मतलब से यू छोरी मुझको लव यू  बाबू  बोलती है मेरे सोना  खाना  खाया  फिर ये  मुझसे  पूछती है  इतना प्यार दिखाती मुझको जैसे  मुझको  पूजती है , पागल समझे छोरी मुझको  तेरी बातों  में  ना आऊ तेरी  जैसी  छोरियों को अपने आगे पीछे घुमऊ ,  तु समझे मुझको ऐसे वैसे छोरी  मुझको  ऐसे कैसे  तूने  कैसे  सोच लिया मैं खर्च करूंगा तुझ पर पैसे , सुनले छोरी... 😎😎😎 दिलवरिया की बात सुनले और  मेरी  बात  जान ले कमिना  हूं  पैदाइशी सूरत  मेरी  पहचान  ले , हाहाहा..😀😀😀😀 मुझे  पता  है  तेरा  बेबी  अब  तु  ये  सोचरी  है कहां फंसी हूं चक्कर में खुद से  तु  ये पूछरी  है , __ विपिन दिलवारिया

आम घर का लड़का " रैप सोंग " by Vipin Dilwarya

           आम घर का लड़का " रैप सोंग " आम घर का लड़का था मैं मिडिल क्लास फैमिली सपने थे मेरे बड़े - बड़े जिनको लेकर चल पड़े सबने रोका मुझको आस पास के लोगों ने सब ने मारा ताना तु कुछ ना कर पाएगा जीवन तेरा यूं ही बर्बाद हो जाएगा उन्हें क्या मालूम था मेरे अंदर के जुनून का मैं रातों को ना सोया ना दिन में मुझे सुकून था सपने थे मेरे बड़े - बड़े ना सपनों पे मेरे  बैन था करता था मै मेहनत ना ऐसा कोई दिन था ना ऐसी कोई रात थी करना था कुछ अलग मेरे अंदर ऐसी आग थी लोगो को दिखाना है लोगो को बताना है ताना मारने वालों को अब ये समझाना है यू ट्यूब से  लेकर  मैं टिक  टोक तक  चला धीरे - धीरे  अपना  नाम  फैलने  लगा लोगो  की  जुबान पे दिलवरिया का नाम अब  आने   लगा लोगो  की  जुबान पे अपना नाम  आने  लगा ताना मारने वाला अब हर कोई शर्माने लगा अपना नाम फैलने लगा लोगो की जुबान पर अपना  नाम  आने लगा अपना  नाम  आने लगा By _ Dilwarya & Samrat

ठहर जाओ ( SONG ) by Vipin Dilwarya

             ठहर जाओ  ( SONG ) अभी लौटकर ना जाओ मेरी जान थोड़ा  और  ठहर  जाओ तुमसे कुछ बातें करनी बाकी है , अरसा  हुआ  है  तुमसे  मिले थोड़ा  और  ठहर  जाओ इस दिल में कुछ अरमान बाकी है  . . ठहर जाओ ठहर जाओ मेरी बाहों में आ जाओ ठहर जाओ ठहर जाओ मेरी बाहों मै आ जाओ..... तु मेरा दिल मेरा अरमान तु है धरती मेरा आसमान समंदर मैं किनारा तु  तु है नदियों की जलधारा सहारा मैं तेरा बन जाऊ तुम मेरा सहारा बन जाओ ना शर्माओ , ना शर्माओ दिल में मेरे तुम बस जाओ ठहर जाओ ठहर जाओ मेरी बाहों मै आ जाओ.....      " रैप " रोम-रोम मेरा खिल जाता है जब  आती  हो  पास  मेरे करती हो तुम बातें ऐसे फूल से बिखरे मुख से तेरे , एक बार तु ऐसे हंसदें   रात  हो जाए दिन जैसे सोचता हूं पास आए  दूर कभी ना मुझसे जाए  जाती  जब  तु  दूर मुझसे  दिलवरिया बस गाना गए याद करूं मैं पल - पल तुझको हर  पल तेरी याद सताए , तेरे बिन अब अधूरा हूं मैं दूर  नहीं  मैं  रह  सकता तु ही बता अब क्या करूं तेरे बिन अब जिया ने जाए         *** तेरे संग मैं  बिताऊ हर पल ऐसा मेरा ये दिल कहें 

तुम बिन अधुरे रहतें है... ( SONG ) by Vipin Dilwarya

        तुम बिन अधुरे रहतें है...( SONG ) तुम बिन जीएँ  तो कैसे जीएँ हम... तुम बिन अधुरे रहतें है... वादा किया था  बिछडेंगे ना हम... तुमसे बिछड़कर रहतें हैं... जाँ से भी ज्यादा तुमको मैं चाहा दिल में बसाया तुम्हे अपना बनाया.... खता क्या है मेरी तु इतना बता दें अपना बनाकर  मुझे  क्यूं भुलाया.... तुमको  बताएँ तो कैसे बताएँ हम... दर्द-ए-जुदाई कैसे सहतें हैं... तुम बिन जीएँ  तो कैसे जीएँ हम... तुम बिन अधुरे रहतें है... दिल के  वरक़ सारे  मिट से गये  जज्बात दिलवरिया के सिमट से गये.... एक बार  मुझे  तु इतना  बता दें बदलकर मुझे  तुम बदल क्यूं  गये.... तुमको दिखाएँ  तो कैसे दिखाएँ हम... ज़ख्म दिल के हरे रहतें है... तुम बिन जीएँ  तो कैसे जीएँ हम... तुम बिन अधुरे रहतें है... तेरी मीठी बातें तेरी यादें घेरती है ख्वाबों में आकर मुझे तड़पाती है.... एक बार  मुझें तु  इतना बता दें तेरी यादें मुझें इतना क्यूं सताती है.... तुम्हे सताएँ  तो कैसे सताएँ हम... खुद को सताएँ रहतें है... तुम बिन जीएँ  तो कैसे जीएँ हम... तुम बिन अधुरे रहतें है... __विपिन दिलवरि

मजबूर है कदम मजदूर के ( कोरोना महामारी ) by Vipin Dilwarya

                मजबूर है कदम मजदूर के                                          ( कोरोना महामारी ) घर  के  रहे  ना बाहर  के काम के  रहे  ना नाम  के                              दिन  के  रहे  ना  रात  के                              सुबह के  रहे  ना  शाम के कठिन डगर मीलों का सफ़र पूरा करना है  पैदल चाल से                              चल पड़े  वीरान सड़कों पे                               लड़खड़ाते  कदम बढ़  रहे इंसाँ बचा है ना इंसानियत  सब सियासी रोटी सेंक रहे                             नन्हें पैरों में छाले  पड़ गये                             ज़िन्दगी - मौत से  लड़ रहे बेबस  लाचार  माँ - बाप भूखे-प्यासे  बच्चे  मर रहे                              मजबूर है कदम मजदूर के                              सडकों पे  निशां है खून के काली सड़कें  लाल हो गई इन्हे  ना   कोई   दिखायेग                             किसे पड़ी है किसकी कौन                             किसे आप बीती  सुनाएगा सब लगे  है  बचाने कोरोना से इस भुखमरी से कौन बचायेगा                             ना  रोटी

" तु मिल गया..ये जहां मिल गया " ( SONG ) by Vipin Dilwarya

         " तु मिल गया..ये जहां मिल गया " तु मिल गया.. ये जहां मिल गया... मेरी खुशी का अब ठिकाना नहीं........ उम्मीद है ये.. इस ज़िन्दगी से... होगी कभी ना दूरी खुशी से........ इस जहां में , तुझ सा नहीं है, प्यार हमारा , झूठा नहीं है , दिल की ये बातें , दिल ही समझे आंख मेरी अब , लगती नहीं है आंखो का पानी.. रुकता नहीं है... याद तेरी जब आती मुझे है........ तु मिल गया.. ये जहां मिल गया... मेरी खुशी का अब ठिकाना नहीं........ उम्मीद है ये.. इस ज़िन्दगी से... होगी कभी ना दूरी खुशी से........ बाहों में मेरी , तुम आ भी जाओ खो जाओ मेरे , आगोश में चांद और तारे , मैं तोड़ लाऊ तेरे लिए मैं , इस आसमां से ये आसमां.. झुकता नहीं है... इसको झुकादू तेरे लिए मैं......... तु मिल गया.. ये जहां मिल गया... मेरी खुशी का अब ठिकाना नहीं........ उम्मीद है ये.. इस ज़िन्दगी से... होगी कभी ना दूरी खुशी से........ By _ Vipin Dilwarya

जिसे देखता है पिघल जाता हैं ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

जिसे देखता है पिघल जाता हैं वो कहती है तु बदल जाता है मेरा दिल पत्थर नहीं मोम है जिसे देखता है पिघल जाता हैं ज़िन्दगी की रहों में गिर गिरकर संभला हूँ, मगर ये कम्भख्त दिल है जो मोहब्बत की रहों में फिसल जाता है शर्दी गर्मी, दिन रात, आना जाना, दूरियां  ये  तो  सब  एक  बहना  है जिसको मिलना होता है मिल जाता है __विपिन दिलवरिया 

तुम्हारी याद आई है by Vipin Dilwarya

                  तुम्हारी याद आई है आस्माँ में चांद और जगमग सितारें, ज़मीं पे जुगनुओं  की चमक छाई है । बड़े दिनों के बाद  ऐसी  रात आई है , तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।।               वीरान  ज़िन्दगी  गुलशन  बन  गई , ख़िज़ां के बाद फिर बहार लौट आई है । बड़े दिनों के बाद होठों पे हसीं आई है , तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।। ऋतु बदली  और  बदल  गई  हवाएं , बेचैन सांसो ने आज राहत सी पाई है । बंद कमरें के सन्नाटों ने भी चुप्पी तोडी , आज खमोशियाँ भी कुछ गुनगनाई है । कथा - कहानी  और  वो  तरानें , आज फिर से वो गज़लें याद आई है । बड़े दिनों के बाद वो गज़लें गुनगनाई है , तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।। खामोश निगाहें बोल उठी,  रात में बिजली चमक उठी,  और  घनघोर  घटा  छाई  है । बड़े दिनों के बाद वही बरसात आई है , तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।। __विपिन दिलवरिया

समन्दर भी सूख जाते है (Shayari) by Vipin Dilwarya

समन्दर भी सूख जाते है बढ़ते  कदम  भी  रुक  जाते  हैं जब अपनों के साथ छूट जाते हैं ये मौसम  अगर साथ ना दें तो हवाओं के रुख भी मुड़ जाते है ना हस्ती ना हैसियत, ये वक्त है बड़ों - बड़ों के सर झुक जाते हैं पानी का एक कतरा भी बगावत पर आ जाये, तो समन्दर भी सूख जाते है __विपिन दिलवरिया

कोरोना ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

कोरोना मतलबी दुनियां के मतलबी लोग मतलब से आना मतलब से जाना कल तक मेरे साथ आज किसी और का तो उसके लिये क्या रोना जो अपना होकर भी  अपना  नहीं उसको क्या पाना और क्या खोना बस दिखावें की नजदीकियं बची थी उसको भी  दूर  कर  गया  कोरोना __विपिन दिलवरिया

सियासी लोग बस सियासत पर ध्यान देते है ( Political Shayari ) by Vipin Dilwarya

सियासी लोग बस सियासत पर ध्यान देते है सच को झूँठ , झूँठ को सच करने वाले लोग सच बोलने का ज्ञान देते है ईमान बिकता है सबका इस सियासी बाज़ार मे  मगर  अच्छा  दाम  लेते  है इन्साफ की तराजू में गुनहों को तोला जाता है यहाँ चंद पैसो के लिये लोग झूँठे बयान देते है अच्छा - बुरा , सही - गलत सब जायज है इंसानियत  मरती  है  तो  मरती  रहें सियासी लोग बस सियासत पर ध्यान देते है __विपिन दिलवरिया

ये सियासत है साहब ( Political Shayari ) by Vipin Dilwarya

ये सियासत है साहब कसमें वादे पूरे हो या ना हो करते रहो करने में क्या जाता है प्रजा  तो  ऐसे  ही  छली  जाती  है हवाएं तलक  नीलाम  कर चुके है, यहाँ सांसे खरीदने की बात की जाती है ये सियासत है साहब, यहाँ बिन पानी के दरिया में नहानें की बात की जाती है जब आती है बात हालत -ए- वतन की उसके लिये बस मन की बात कही जाती है __विपिन दिलवरिया

ये इश्क़ एक जुआं है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

ये इश्क़ एक जुआं है ज़िन्दगी से तु अपनी बड़ा बेजार हो जाएगा ये इश्क़ एक जुआं है मत खेल इसे बर्बाद हो जाएगा और पता है बड़ी सदाकत है उसकी  दुआओं में तु आबाद हो जाएगा तोड़ दो उस पिंजरे को पंछी है आज़ाद हो जाएगा __विपिन दिलवरिया

दिल में भी दिमाग होता है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

              दिल में भी दिमाग होता है             देखी दुनियां मैंने पर तुझसा नहीं देखा    निगाहें कहीं , निशाना कहीं ओर होता है    मैं समझा हमारी मोहब्बत ऐसी है जैसे     दिया बाती के बिना अधूरा चिराग होता है    बीच मझधार में जो नय्या डूबती है    उस  नय्या  में  सुरांख  होता  है    तेरी दिल्लगी को मैं प्यार समझ बैठा    मुझे क्या मालूम    कुछ लोगो के दिल में भी दिमाग होता है __विपिन दिलवरिया

हर दिन को इतवार किया ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

हर दिन को इतवार किया    बीच ज़माने के मैंने    प्यार  का  इज़हार  किया    मोहब्बत तो उसको भी थी    उसने  ना  इनकार  किया    जान से ज्यादा चाहा उसे    जिसे ख़ुद से ज्यादा प्यार किया    ख़्वाब सजाकर जिसके     मैंने हर दिन को इतवार किया    बेवफा निकला वो कम्भख्त    जिसपे ख़ुद से ज्यादा ऐतबार किया __विपिन दिलवरिया

वो छलकता जाम है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

वो छलकता जाम है  बुझती हुई धुआं तो जलती का नाम आग है उगती का नाम सुबह तो ढलती का नाम शाम है अगर मोहब्बत शराब है इश्क़ के मैखाने में तो नशा हूँ मैं उसका वो मेरा छलकता जाम है और बेवजह बदनाम करता है मेरी मोहब्बत को ये जमाना , तो करें अगर  उसकी  मोहब्बत  में  मैं  बदनाम  हूँ तो  उसकी  मोहब्बत  मेरे  लिये  सरेआम है __विपिन दिलवरिया

मेरे सर पे चढ़ने लगी है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

मेरे सर पे चढ़ने लगी है इश्क़ किया था जिस चहरें से अब  वो  सूरत  बदलने  लगी  है उंगली पकड़कर चलना सिखाया हमने, वो आज हमें चलाने लगी है दायरा मोहब्बत का सिमटकर रह गया उसकी ख़्वाहिशें ज्यादा जगने लगी है माना तोहफ़ें लेना देना इश्क़ का दस्तूर है मगर अब उसकी फर्माईशे बढ़ने लगी है लगता है इश्क़ की हदें ज्यादा बढ़ गई आज कल वो मेरे सर पे चढ़ने लगी है __ विपिन दिलवरिया

मैं हद से गुजर जाता हूँ ( shagari ) by Vipin Dilwarya

मैं हद से गुजर जाता हूँ रात के अंधेरों मे मैं थोडा डर जाता  हूँ उन्हे बता दो मैं डरकर भी कर जाता हूँ जिन रहों से कोई गुजर ना सका उन रहों से मैं यूं ही गुजर जाता हूँ हर बाजी जीतना मेरा मकसद नही अपनों के लिये मैं थोडा ठहर जाता हूँ मगर बात जब मेरे गरूर  की  हो तो उसके लिये मैं हद से गुजर जाता हूँ __विपिन दिलवरिया

अपने घर में जिम्मेदार हूँ ( shayari ) by Vipin Dilwarya

अपने घर में जिम्मेदार हूँ छोटी सी उम्र मे मैं बड़ा कर्जदार हूँ मैं अकेला अपने घर में जिम्मेदार हूँ वो अदाकारी के गुर सिखाते है जहाँ उसे नहीं पता मैं वहाँ का मुख्य किरदार हूँ लगे है बदी करने वो अशिक़ो की मुझसे उसे नही पता मैं अशिक़ो का लम्बरदार हूँ इस ज़ालिम दुनिया के बड़े ज़ालिम से बड़ा गहरा नाता है उस ज़ालिम का मगर उस ज़ालिम को नहीं पता मैं उस ज़ालिम का भी सरदार हूँ __विपिन दिलवरिया

हमें बुलाईये तो सही ( shagari ) by Vipin Dilwarya

 हमें बुलाईये तो सही ख्वाहिश जो भी है दिल की हमें बताईये तो सही छेड़ दूँगा मैं दिल के सारे साज़ लबों से कुछ गुन गुनाईये तो सही और किस्से क्या सुनाते हो ख्वाबों के कभी हकीक़त में अजमाईए तो सही तोड़ दो सारी बंदिशे, होने दो तकरार नतीज़ा जो हो देखा जायेगा पहले आप हमें बुलाईये तो सही __विपिन दिलवरिया

तुझे महताब दिला दूं ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

तुझे महताब दिला दूं बस ख्वाबों में मिलते है जो हसीन पल तु कहे तो तुझे वो ख्वाब दिला दूं मोहब्बत है तुझसे , बस सितारें ही क्यों तु कहे तो तुझे महताब दिला दूं हम तो मोहब्बत के नशे में चूर है तु ना हो तो तुझे शराब पिला दूं इश्क़ की हदों को बख़ूबी जनता हूं मगर तू कहे तो आज लबों से लबों को मिला दूं By _ विपिन दिलवरिया

हम तो बदतमीज ही ठीक है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya

हम तो बदतमीज ही ठीक है अगर नसीबों से मिला है वो तो हम तो बदनसीब ही ठीक हैं दौलत भी है शौहरत भी है और महंगा है उसका लिबास हमारे बदन पर कमीज़ ही ठीक है तहज़ीब के शहर में तमीज की गलियों में उसकी जवानी ढल गई अरे जवानी का दौर है हम तो बदतमीज ही ठीक है By _ विपिन दिलवरिया

Part - 3 Thoughtfull Shayari Top - 10 by Vipin Dilwarya

             Thoughtfull Shayari  (1) किसे कह दूँ मैं अपना मेरी खामोशी कोई नहीं सुनता (2) हाँ मैं पत्थर हूँ साहब मैं रास्ते का वो पत्थर हूँ जिसमे ठोकर खाकर लोग संभलते हैं (3) इस ज़मीं से बढ़कर कोई अपना नहीं ज़िन्दगी को सवांर देती है और मृत्यु को अपना लेती है (4) हँसता तो आज भी हूँ साहब, बस मुस्कुराना भूल गये (5) बंदिशे ज़्यादा बढ़ने लगी हैं ज़िन्दगी में.... लगता है... जरूरतें शौर करने लगी हैं...!! (6) मैं दिया हूँ , अंधेरा... बहुत संभालकर रखता हूँ अपने तले फिर भी अंधेरा मेरे खिलाफ़ है जरुर... हवाओं ने भड़काया होगा...!! (7) ख़ैरियत पूछने वाला हर कोई हमदर्द नहीं होता साहब कुछ लोग हैसियत का अंदाज़ा लगाते है (8) लबों को खामोश करके जो  निगाहें  चुरा  लेते  है अक्सर उनके चेहरें बोल उठते है (9) ज़िन्दगी सवांरतें सवांरतें पता नहीं कब ज़िन्दगी गुज़र गई  (10) अश्क़ छूटे हैं  मेरी साँस नहीं तलाश छोड़ी है तेरी आस नहीं By _ Vipin Dilwarya

Part - 2 Thoughtfull Shayari - by Vipin Dilwarya

           Thoughtfull Shayari  (1) ना हिन्दु ना मुसलमान ,ना सिख ना हूँ मैं इसाई इंसानियत जिसका धर्म वो इन्सान हूँ  मेरे भाई हर रंग को सजोंकर रखता है अपनी पेशानी पर तिरंगा जिसकी शान मैं वो हिंदुस्तान हूँ मेरे भाई (2) ऐसा  वक्त  भी  ला  देंगे काक्का  कि  वक्त भी ठहरा  देंगे जब निकलेगा तेरा लाल सडकों पे तो दुश्मन भी पहरा देंगे (3) हमको आदत है गुनगुनाने की कुछ लिखने की कुछ सुनाने की जहाँ लोगो की कलम रुक जाती है हमको आदत है वहीं से कलम चलाने की (4) दौलत  नहीं  काम  चाहियें शौहरत  नहीं  नाम  चाहियें भीड़ मे तो दुनियां चलती है मुझे दुनियां मे पहचान चाहियें (5) अक्सर गैरो से नज़दीकियाँ बढ़ जाती है जनाब  जब  अपने  दूरियाँ  बना लेते  है (6) अक्सर जो तस्वीरों में साथ होते है वो  तकलीफों  में  दग़ा  दे  जातें है (7) अगर सच से मोहब्बत होती साहब तो ज़िन्दगी से प्यार ना होता (8) धूप में निकला एक परछाई नज़र आई तो लगा  कि मेरे साथ भी कोई रहता है (9) ये आईना भी  अब ऐसे निहारता है मानो, जैसे कोई एहसान उतरता है By _ Vipin Dilwarya

एक मैं और तुम by Vipin Dilwarya

एक मैं और तुम एक मैं और तुम... जैसे दरिया के दो किनारे.... जिस राह चलें... एक साथ रहे एक साथ चलें.... बहता पानी कम हुआ... तो  नज़दीक  आने  लगे.... बहता पानी बढ़ गया... तो   दूर   जाने   लगे.... सदियाँ  गुज़र  गई... वस्ल के इंतज़ार में.... हाँ...  एक मैं और तुम... कभी  एक  ना  हो  सके... __विपिन दिलवरिया