हर दिन को इतवार किया ( Shayari ) by Vipin Dilwarya
हर दिन को इतवार किया
बीच ज़माने के मैंने
प्यार का इज़हार किया
मोहब्बत तो उसको भी थी
उसने ना इनकार किया
जान से ज्यादा चाहा उसे
जिसे ख़ुद से ज्यादा प्यार किया
ख़्वाब सजाकर जिसके
मैंने हर दिन को इतवार किया
बेवफा निकला वो कम्भख्त
जिसपे ख़ुद से ज्यादा ऐतबार किया
__विपिन दिलवरिया
Hii
ReplyDeleteNice Blog
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