जिसे देखता है पिघल जाता हैं ( Shayari ) by Vipin Dilwarya



जिसे देखता है पिघल जाता हैं



वो कहती है तु बदल जाता है
मेरा दिल पत्थर नहीं मोम है

जिसे देखता है पिघल जाता हैं


ज़िन्दगी की रहों में गिर गिरकर
संभला हूँ, मगर ये कम्भख्त दिल है

जो मोहब्बत की रहों में फिसल जाता है


शर्दी गर्मी, दिन रात, आना जाना,
दूरियां  ये  तो  सब  एक  बहना  है

जिसको मिलना होता है मिल जाता है



__विपिन दिलवरिया 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )