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Showing posts from November, 2019

" मां का प्यार " by Vipin Dilwarya

 "  मां का प्यार  " दर्द तो है पर कभी  दर्द - ए - गम ना हुआ , रुखसत हो गई जिस दिन मेरी मां , दर्द भी हुआ उस दिन दर्द - ए - गम भी हुआ । इस दुनिया में चाहने वाले  और प्यार करने वाले तो बहुत है , मगर मेरी मां जैसा  प्यार मुझे किसी ने ना किया । ये इश्क़ , ये प्यार , ये मोहब्बत  को मैं कभी समझ नहीं पाया  कितने रंग है इसके मैं कभी गिन नहीं पाया , रंग मोहब्बत का अगर सच्चा है तो वो मां की मोहब्बत का है , बाकी सब  तो  खेल , दिखावा और मोहमाया है । आजमाकर देखा है मैंने  हर एक रिश्ता , सबने वक्त - वक्त के हिसाब से प्यार किया  और वक्त - वक्त के हिसाब  से मुझे इस्तेमाल किया  , बस एक मां है जिसने हर वक्त मेरा साथ दिया  और बेवक्त भी मुझे प्यार किया  । By _ Vipin Dilwarya

" इसमें कुछ खास बात है " by Vipin Dilwarya

 " इसमें कुछ खास बात है " अक्सर मिलना और बिछड़ना  ये तो आम बात है , लेकिन आज बिछड़कर याद करना  इसमें कुछ खास बात है । यूं महफ़िल में बोलना - चालना ये तो आम बात है , मगर  आज यूं बेवजह मुस्कुराकर बात करना  इसमें कुछ खास बात है । गलियों से तो हम  उसकी रोज गुजरते थे , मगर आज यूं दरवाजे  पर  इंतेज़ार  करना इसमें कुछ खास बात है । उनके नज़रअंदाज़ करने से हमें कोई शिकवा नहीं  ये तो आम बात है , मगर आज  बार - बार नज़रें चुराकर नज़रें मिलना इसमें कुछ खास बात है । लाख कोशिश की  मैंने उनसे मिलने की मगर  आज उनका  घर पर मिलने आना  इसमें कुछ खास बात है । By _ Vipin Dilwarya

इस दिल को कोन समझाए जो आज भी तेरी और खींचा चला आता है by Vipin Dilwarya

 इस दिल को कोन समझाए जो आज भी तेरी और  खींचा चला आता है  _____________________    छोड़ देंगे वो शहर     वो गलियां जिनसे तेरा नाता है ,    कदमों को तो मैं अपने रोक लेता हूं ,    पर इस दिल को कोन समझाए     जो आज भी तेरी और     खींचा चला आता है  ।    बरसो बीत गए    तेरी गलियों को देंखे ,    पर ये दिल आज भी तेरी     गलियों के चक्कर लगाता है ,    और हा ऐसा नहीं है....     कि इतने वर्षों में    मुझे कोई चाहने वाला नहीं मिला ,        लाखो मिले है मुझे चाहने वाले     इस दिल को प्यार करने वाले ,    मगर इस दिल को आज     भी तेरा दिल ही भाता है  ।        इस दिल को कोन समझाए ,    जो आज भी तेरी और     खींचा चला आता है  ।    यूं तो ज़िन्दगी चल     रही है हमारी कोई कमी नहीं है ,    दौलत भी मिली    और प्यार भी मिला ,    शौहरत भी मिली    और दिलदार भी मिला ,    लाख कोशिश की मैंने     कि उसे भुला दूं ,    मगर ये दिल आज     भी वहीं थमा बैठा है ,    इस दिल को कोन समझाए ,    जो आज भी तेरी और     खींचा चला आता है  ।  

( मां ) Mother poetry in Hindi by Vipin Dilwarya

  "  मां  " " Mother " poetry in Hindi     मां महज एक शब्द नहीं ,    इस शब्द में समाया    पूरा संसार है  ।    ये चांद , ये सितारे और ये सूरज    सब से मिलकर बना ये आसमां है ,    ये जीव , ये जंतु और ये इंसान    सबके जीवन का आधार बस मां है  ।    मां - बाप ही ईश्वर    मां - बाप ही भगवान है ,    मां - बाप के बिना    अधूरा हर इंसान है  ।    आज मैं जो कुछ भी हूं    ये बस  मां  का प्यार है    मां  बस  मां  नहीं ,    मां  ही  मेरा  संसार  है  ।    सत्यता है बस    मां के प्यार में ,    बाकी सब मिथ्या है    इस संसार में  ।    मां के लिए बहुत कुछ    लिखना चाहता हूं ,    सोचता हूं , लिखता हूं    और मिटा देता हूं ,    बस मां लिखकर    आगे निशब्द हो जाता हूं  । By _ Vipin Dilwarya

( मेरे दोस्त ) वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे by Vipin Dilwarya

   ( मेरे दोस्त )     " वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे "    कुछ मजबूरियां ऐसी थी    कुछ हालात ऐसे थे    ना खाने को कुछ था     ना  जेब  में  पैसे  थे    जब बुरा वक्त हमारा था    तो सब हो गए पराए थे      अरे गैरों से क्या गिला करते    जब अपने ही कुछ ऐसे थे       टूट चुका था अंतर्मन से    जब कोई अपना साथ ना था    बोझ लग रहा था जीवन    फिर भी मुझको ढोना था    मुश्किल वक्त में जिसने    हाथ बढ़ाया मेरी ओर    कहने को वो पराए जैसे थे    जो क़दम से क़दम    मिलाकर मेरे साथ चले    वो पराए कुछ मेरे दोस्त थे    अनमोल है वो रिश्ता    वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे    निस्वार्थ मेरा साथ दिया    साथ मिलकर काम किया    मुझे बुलंदियों तक पहुंचाए थे       बुरा वक्त भी टल गया    अब  जेब  में  भी  पैसे  थे    अजब दस्तूर है इस दुनियां का    अब अपने भी साथ थे    और पराए भी साथ थे      जब हो गए हम कामयाब थे    अच्छे - बुरे वक्त में जो मेरे साथ चले    कहने को वो पराए जैसे थे    अनमोल है वो रिश्ता    वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे

" बचपन " " क्या खूब थे वो बचपन के दिन , वो बचपन के दिन याद आते है " by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

                       " बचपन "                       " "क्या खूब थे वो बचपन के दिन"      "वो बचपन के दिन याद आते है" ना खाने की चिंता  ना कमाने की चिंता , बस स्कूल में पढ़ना और क्लास में शोर मचाना था , वो बारिश की बूंदे और पानी का किनारा  , वो कागज़ की कश्ती और ये दिल आवारा था , क्या खूब थे वो दिन वो भी क्या जमाना था , वो कागज़ की कश्ती और वो क्लास में शोर मचाने वाले दिन याद आते है आज वो बचपन के दिन याद आते है । क्या खूब थे वो बचपन के दिन , कोई अपना था ना पराया ज़िन्दगी बस ख़ुद में मशगूल थी , ना दोस्ती  का मतलब  ना  मतलब की दोस्ती , अनमोल थी वो दोस्ती जो दोस्ती फिजूल थी , ना  बातों  के मतलब ना मतलब  की  बातें , अनमोल थी वो बातें  जो  बातें फिजूल थी , पक्की सड़कें पक्के मकाँ  मिलता नहीं वो सुकूँ यहाँ, कोई लौटा दे वो बचपन जहाँ सड़कों पे उड़ती धूल थी , क्या खूब थे वो बचपन के दिन , वो फिजूल की बातें और वो फिजूल के दोस्त याद आते है आज वो बचपन के दिन याद आते है । क्या खूब थे वो बचपन के दिन , ना किसी को सुनाना  ना किसी की सुनना , वो गुड्डे - गुड़ियों के खेल

तेरी बेवफाई के किस्से सरेआम नहीं करूंगा by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

  तेरी बेवफाई के किस्से  सरेआम नहीं करूंगा तेरी बेवफाई के किस्से  सरेआम नहीं करूंगा , तु बेवफा है तो क्या हुआ सच्ची है मेरी मोहब्बत  इसे बदनाम नहीं करूंगा , हर लड़की बेवफा नहीं होती जिनकी मोहब्बत सच्ची होती है उनकी मोहब्बत को रुसवा नहीं करूंगा , इसलिए , तेरी बेवफाई के किस्से  सरेआम नहीं करूंगा , सच्ची है मेरी मोहब्बत  इसे बदनाम नहीं करूंगा , मानता हूं , मोहब्बत में सभी वफा नहीं करते तो सभी  बेवफाई भी  नहीं करते , सभी को बेवफाई का इल्ज़ाम नहीं दूंगा , तेरी बेवफाई का किस्सा सुनकर कहीं सच्ची मोहब्बत बदनाम ना हो जाए , मोहब्बत करने वालों का मोहब्बत से विश्वास ना उठ जाए , इसलिए , तेरी बेवफाई के किस्से  सरेआम नहीं करूंगा , सच्ची है मेरी मोहब्बत  इसे बदनाम नहीं करूंगा , भले ही , तेरी मोहब्बत में मैं टूट चुका हूं मगर ये इश्क़ दोबारा नहीं करूंगा , मुझसे भी ज्यादा टूटे हुए लोग  बैठे है इस महफ़िल में , जनाब , मगर , मै किसी की ओर इशारा नहीं करूंगा , तेरी बेवफाई के किस्से  सरेआम नहीं करूंगा , सच्ची है मेरी मो