( मेरे दोस्त ) वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे by Vipin Dilwarya
( मेरे दोस्त )
" वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे "
कुछ मजबूरियां ऐसी थी
कुछ हालात ऐसे थे
ना खाने को कुछ था
ना जेब में पैसे थे
जब बुरा वक्त हमारा था
तो सब हो गए पराए थे
अरे गैरों से क्या गिला करते
जब अपने ही कुछ ऐसे थे
टूट चुका था अंतर्मन से
जब कोई अपना साथ ना था
बोझ लग रहा था जीवन
फिर भी मुझको ढोना था
मुश्किल वक्त में जिसने
हाथ बढ़ाया मेरी ओर
कहने को वो पराए जैसे थे
जो क़दम से क़दम
मिलाकर मेरे साथ चले
वो पराए कुछ मेरे दोस्त थे
अनमोल है वो रिश्ता
वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे
निस्वार्थ मेरा साथ दिया
साथ मिलकर काम किया
मुझे बुलंदियों तक पहुंचाए थे
बुरा वक्त भी टल गया
अब जेब में भी पैसे थे
अजब दस्तूर है इस दुनियां का
अब अपने भी साथ थे
और पराए भी साथ थे
जब हो गए हम कामयाब थे
अच्छे - बुरे वक्त में जो मेरे साथ चले
कहने को वो पराए जैसे थे
अनमोल है वो रिश्ता
वो दोस्त मेरे कुछ ऐसे थे
By _ Vipin Dilwarya
Very good brother
ReplyDeleteThank u Bhai
DeleteThanks.....
ReplyDeleteNice✌️✌️✌️
ReplyDeleteThanks bro
Deletebrilliant sir
ReplyDeleteThank u so much 🙏 🙏
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