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Showing posts from March, 2020

कोरोना से बचाव कैसे करे , कोरोना से कैसे लड़ना है , कोरोना पर ये लेख आपके लिये बहुत जरुरी है इसे पढे और कोरोना से बचे

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               कोरोना से बचाव कैसे करे कोरोना कोरोना कोरोना कोरोना हो रहा हर देश हर शहर दुनियां के हर देश मे बरपा रहा अपना कहर सुन मेरी बात कोरोना से ना डर छोटी छोटी बातें और छोटे से उपाय कर कोरोना से बचना है तो पब्लिक प्लेस से बच और रह अपने घर मजबुरी है जिसकी जाने की बात है पापी पेट और खाने की तो कोई बात नही किसी बात का डर नही घर से निकल तु मास्क लगा कर लोगो से बात करना एक मीटर की दूरी बनाकर सुन मेरी बात कोरोना से ना डर छोटी छोटी बातें और छोटे से उपाय कर कोरोना से बचना है तो पब्लिक प्लेस से बच और रह अपने घर ना बात मिला ना हाथ मिला ना मूँह लगा  ना गले लगा ऐडवाइज है सबको पहन हाथ में ग्लब्स और मूँह पे अपने मास्क लगा भीड भाड़ से दूर रहकर खुद को बचा और दूसरो को भी बचा गन्दगी से बच , सफाई कर बीस सेकंड तक हाथ धो और खुद को सैनेटाइज कर बस इतनी सी सावधानी फिर किस बात का है डर सुन मेरी बात कोरोना से ना डर छोटी छोटी बातें और छोटे से उपाय कर कोरोना से बचना है तो पब्लिक प्लेस से बच और रह अपने घर By _ Vipin Dilwarya

सब पराए है जिन्हे मैं अपना कहता हूँ by Vipin Dilwarya

      सब पराए है जिन्हे मैं अपना कहता हूँ  डगर कठिन हो या आसान मैं हर डगर पर अकेले चलता हूँ यहां अपना तो है, बस अपना ही साया जिसे मैं परछाई कहता हूँ इस दुनियां में कोई अपना नही सब पराए है जिन्हे मैं अपना कहता हूँ अरे मोहताज़ नहीं हूं किसी के  रहमों करम का मैं खुद कहता हूं ज़ख्म दे गया हर इंसान जिसे अपना कहा अब हर ग़म-ए-दर्द को अकेले सहता हूं ख्वाबों की चादर ओढ़कर महनत के मकान में रहता हूं ईमान बेचकर कमाया तो क्या कमाया मैं खून पसीना बहाकर कमाता हूं तिनका तिनका समेटकर बनाया है ये घर  मैं आज गर्व से कहता हूँ क्या खाने में खाया जो मांगकर खाया मैं अपनी महनत की कमाई खाता हूँ By _ Vipin Dilwarya 

मैं खुली आंखो का पूरा ख्वाब हूँ by Vipin Dilwarya

 मैं खुली आंखो का पूरा ख्वाब हूँ  वो काजु कतली की मिठाई  तो मैं देसी गुड की बनी राब हूँ  वो है तितलियों की रानी  तो मैं फूलों का राजा गुलाब हूँ उससे कहो यूं हरकत-ए-निगाह ना करें मुझे मैं सीधा हूँ मगर इस मामले में बड़ा खराब  हूँ माना की उसकी चाल मे अदा, उसकी  बात मे मजा और उसकी आंख मे नशा है कोई उसको बताओ मैं भी नशे में देशी शराब हूँ और सुना है वो हुस्न-ओ-शबाब का एक अनसुलझा सवाल है तो सुनलो मैं हर अनसुलझे सवाल का जवाब हूँ चापलूसीयत के पैरोकार है  वो इसलिये कामयाब है मैं अपनी महनत से आब-ओ-ताब हूँ  वो धरती मैं आसमान हूँ वो दिया मैं जलता चिराग हूँ वो आसमां का चमकता सितारा मैं पूरी कायनात में चमकता आफ़तब हूँ वो गहरी नींद का अधूरा सपना तो मैं खुली आंखो का पूरा ख्वाब हूँ By _ Vipin Dilwarya 

" Part - 1" Love shayari " by Vipin Dilwarya

                Part - 1" Love shayari " (1) देखकर उनको मेरी सांसे थम जाती है बात लबो पर आते - आते रुक जाती है इज़हर - ए - मोहब्बत कैसे करू कहीं ठुकरा ना दे मेरा प्यार यही सोचकर मेरी जान निकल जाती है (2) वो ना मिले तो ना मिले उसका अहसास ही काफी है , उसको पाना मेरी ज़िद नहीं मुझे जीने के लिए उसकी याद ही काफी है (3) यूं तो तन्हाई बेतहाशा डसती है फिर भी ये तन्हाई मुझको भाती है क्योंकि तन्हाई में उसकी याद लौटकर आती है (4) वादा करके इंतज़ार ना हुआ जब दिल ने चाहा उसका दीदार ना हुआ बताना चाहता था अरमान कई दिल के पर उससे मिलकर इजहार ना हुआ (5) सहेजकर रखा है तेरी यादों को दिल की अलमारी में आज भी उड़ ना जाएं कहीं वो खुशबू इसलिए खोली नहीं है चादर की सलवटें आज भी (6) हाथो में महंदी लगाकर सुहाग का जोड़ा पहनकर वो आज तेरी बाहों में है पर खुश ना हो मेरे दोस्त वो तेरी बाहों में तो है मगर आज भी हम उसकी यादों में है (7) जानकार अंजान है हम ये बताना ना पड़े नासमझ नहीं है ये समझाना ना पड़े और कुछ भी ऐसा मत कर जाना कि तुझको सताना पड़े दिल

Part - 3 "Dilwarya's Quotes" by Vipin Dilwarya

  Part - 3 "Dilwarya's Quotes" (1) कुछ लोग कहते है  कि मैं बहुत बड़ा हूं पूछकर देख मेरी कहानी ज़मीन से जुड़ा हूं इस जीवन में  कई हादसों से लड़ा हूं तभी मैं आज  इस मुकाम पर खड़ा हूं (2) जो लोग कहते है  तू बदतमीज है और बिगड़ गया है तो वो लोग सुनले  और मेरे अतीत को जानले तो खुद बोलेंगे कि अब तो तु सुधर गया है (3) जो कहते थे  खुद से ज्यादा भरोसा है  वो आज अपने  भरोसे का हिसाब मांगते है (4) हद से ज्यादा ईमानदारी और हद से ज्यादा समझदारी इंसान को अकेला बना देती है (5) जिनके पास होने से कभी गर्व महसूस करते थे आज उनके पास होने से डर महसूस करते है (6) ये ज़िन्दगी कितने रंग बदलती है कभी हंसाती है कभी रुलाती है (7) ना शोर मचाओ ना तलवार उठाओ अरे भीम के चाहने वालों गर करनी है आवाज बुलंद तो कलम उठाओ (8) ना आवारा हूं ना प्यारा हूं मगर अपनी मां का दुलारा हूं ना जुगनू हूं ना सितारा हूं पर मां की आंख का तारा हूं (9) आज पुरानी गुल्लक को तोड़ते है समेटकर रख

यूं ही नहीं वो इंसान फ़ौजी कहलाता है ( एक फ़ौजी की कहानी ) by Vipin Dilwarya

  " यूं ही नहीं वो इंसान फ़ौजी कहलाता है " बचपन से उसका हर भाव अलग होता है जीवन के हर पड़ाव से गुजरता है पढ़ता है लिखता है उगती दाढ़ी को देखता है हज़ारों की भीड़ में दौड़कर सबको पीछे  छोड़कर वो एक निकालकर आता है यूं ही नहीं वो इंसान फ़ौजी कहलाता है दिन रात कड़ी मेहनत करके प्रशिक्षण के हर दौर से गुजरता है कहीं शर्द हवा कहीं गर्म हवा , कहीं बर्फ  को झेलता है तो कहीं अग्नि में तपता है यूं ही नहीं वो इंसान फ़ौजी कहलाता है हर मुश्किल दौर में हंसता है हर स्थिति हर परिस्थिति में ढलता है हिंसा हो या हो प्राकृतिक आपदा निडर होकर हर कठिनाई से निपटता है यूं ही नहीं वो इंसान फ़ौजी कहलाता है मां का आंचल छोड़कर  पिता का साया छोड़कर बीवी को बच्चे सौंपकर रोते बिलखते बच्चो को छोड़कर जाता है भाई - बहन से दूर होकर  खुश ना होकर भी खुश हो जाता है अपना टूटा दिल किसी को ना दिखता मानो जैसे उसका दिल पत्थर बन जाता है यूं ही नहीं वो इंसान फ़ौजी कहलाता है जिस घर के आंगन में बचपन बीता और आई जवानी पिता की डांट और मां की कहानी