तुम्हारी याद आई है by Vipin Dilwarya

                  तुम्हारी याद आई है



आस्माँ में चांद और जगमग सितारें,
ज़मीं पे जुगनुओं  की चमक छाई है ।

बड़े दिनों के बाद  ऐसी  रात आई है ,
तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।।
             
वीरान  ज़िन्दगी  गुलशन  बन  गई ,
ख़िज़ां के बाद फिर बहार लौट आई है ।

बड़े दिनों के बाद होठों पे हसीं आई है ,
तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।।

ऋतु बदली  और  बदल  गई  हवाएं ,
बेचैन सांसो ने आज राहत सी पाई है ।

बंद कमरें के सन्नाटों ने भी चुप्पी तोडी ,
आज खमोशियाँ भी कुछ गुनगनाई है ।

कथा - कहानी  और  वो  तरानें ,
आज फिर से वो गज़लें याद आई है ।

बड़े दिनों के बाद वो गज़लें गुनगनाई है ,
तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।।

खामोश निगाहें बोल उठी, 
रात में बिजली चमक उठी, 
और  घनघोर  घटा  छाई  है ।

बड़े दिनों के बाद वही बरसात आई है ,
तुम्हारी याद आई हैं तुम्हारी याद आई है ।।



__विपिन दिलवरिया

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