" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

  " खूबसूरती निहारती आइने में "
(  एसिड अटैक  )


खुशहाल  थी   मेरी  ज़िन्दगी 
कुछ भी गम नहीं था जीने में

हंसती   इठलाती  फिरती  थी
कोई  खौफ  नहीं था  सीने में

पिता की लाडली, मां की परी
खूबसूरती  निहारती आइने में

उम्र  बढ़   रही ,  जवानी  का  दौर
कुछ दरिंदे जिनकी नज़रें मेरी ओर

मैं नादान हर बात से अनजान
मुझे  कुछ  खैरो - खबर  नहीं

घबरा गई  मैं  उनको  देखकर
घेर लिया मुझे  अकेला पाकर

क्या - क्या  कहा  मैं  सुन  नहीं पाई
मैं रोई चिल्लाई विनती की रो रोकर

एक  दरिंदा  गुस्साया  मुझ पर
फेंक  दिया  तेजाब  मेरे  ऊपर

खुश  हो  रहे  दरिंदे  मुझे  देखकर
मैं रह गई बेबस और लाचार होकर

क्या कोई  गुनाह कर दिया था
मैंने    उनको    जवाब   देकर

कोई  तो  बताओ  मेरा कुसूर
फिर    क्यों    दें     गए    वो 
मुझे  ज़िन्दगी  भर  का नासूर

कोन है मेरा दुश्मन कोई तो बताओ
मेरी  जवानी , मेरा हुस्न या मेरा नूर

किसे  दोष  दूँ  अपनी  बर्बादी  का
सब कुछ खत्म हो गया पल भर में

हंसती  खेलती  ज़िन्दगी  थी  मेरी
गम ही गम भर दिए मेरे जीवन में

पिता की लाडली , मां की परी
खूबसूरती  निहारती  आइने में

खूबसूरती ही मेरी दुश्मन बन गई
नफ़रत हो गई अब इस आइने से



By _ Vipin Dilwarya

Comments

  1. Replies
    1. Acid attack ek bahut serious matter h.
      Acid attack k bahut peedit h aaj k time m or unki Zindagi barbad ho jati aisi ghatna k bad. To aisa hona bahut galat h

      Delete
  2. Replies
    1. Bilkul Bhai JB to logo ki soch nahi barlegi tb tk kuchh nahi badlega . Soch barlegi to desh badlega.

      Delete

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