" मेरे जीवन की डोर है तु , तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं " हिंदी कविता by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" मेरे जीवन  की  डोर है तु "             " तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं "



कली  है  तु , डाली  है  तु
बगिया में खिलता कमल है तु ,

फूलों  सी  सजी  हो  जैसे
तेरी  बगिया का  माली हूं  मैं ,

सूरजमुखी का  फूल  है  तु
उगते  सूरज  की तपन हूं  मैं ,

मेरे जीवन  की  डोर  है  तु
तुझ बिन अधूरा  चमन हूं  मैं  ।।

नदियां है  तु , दरिया है  तु
किनारा है तु  और समंदर हूं मैं ,

गरजते  कारे  बदरा हो जैसे
सावन की पहली बरसात है तु ,

काश्मीर की गिरती बर्फ है तु
ग्लेशियर की बढ़ती गलन हूं मैं ,

मेरे जीवन  की  डोर  है  तु
तुझ बिन अधूरा  चमन हूं  मैं  ।।

सुबह  है   तु , शाम  है  तु
मदिरा है  तु  छलकता जाम हूं मैं ,

चांदनी रात की  चमक हो  जैसे
तरों की महफ़िल का सितारा हूं मैं ,

कभी राधा तो कभी मीरा है तु
दीवानी तु मेरी , तेरा सजन हूं मैं ,

मेरे जीवन  की  डोर  है  तु
तुझ बिन अधूरा  चमन हूं  मैं  ।।



By _ Vipin Dilwarya

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