" मेरे जीवन की डोर है तु , तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं " हिंदी कविता by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )
" मेरे जीवन की डोर है तु " " तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं "
कली है तु , डाली है तु
बगिया में खिलता कमल है तु ,
फूलों सी सजी हो जैसे
तेरी बगिया का माली हूं मैं ,
सूरजमुखी का फूल है तु
उगते सूरज की तपन हूं मैं ,
मेरे जीवन की डोर है तु
तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं ।।
नदियां है तु , दरिया है तु
किनारा है तु और समंदर हूं मैं ,
गरजते कारे बदरा हो जैसे
सावन की पहली बरसात है तु ,
काश्मीर की गिरती बर्फ है तु
ग्लेशियर की बढ़ती गलन हूं मैं ,
मेरे जीवन की डोर है तु
तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं ।।
सुबह है तु , शाम है तु
मदिरा है तु छलकता जाम हूं मैं ,
चांदनी रात की चमक हो जैसे
तरों की महफ़िल का सितारा हूं मैं ,
कभी राधा तो कभी मीरा है तु
दीवानी तु मेरी , तेरा सजन हूं मैं ,
मेरे जीवन की डोर है तु
तुझ बिन अधूरा चमन हूं मैं ।।
By _ Vipin Dilwarya
Great
ReplyDeleteThank u so much
Deleteबहुत अच्छी लिखी है भाई👌😍
ReplyDeleteThanks a lot brother
DeleteThanks
ReplyDeleteMindblowing bro.
ReplyDeleteGreat Bhai..
ReplyDeleteThanks A lot bro
DeleteVery nice👍👍👍
ReplyDeleteThank u so much Bhai
DeleteSuperb bro
ReplyDeleteThanks brother
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