" रूह भी तेरी मुझसे रूठ गई " by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" रूह भी तेरी मुझसे रूठ गई "


रूह भी तेरी मुझसे रूठ गई 
ना जाने ऐसी खता कोन सी हो गई ,
एक बार मेरा कुसूर तो बता
जो तू मुझसे ऐसे रूठ गई ,

बड़ी सिद्दत से चाहा था मैंने तुझे
ना जाने कमी ऐसी कोन सी हो गई
जो तु  मुझे  ऐसे  छोड़  गई ,

क्या हुआ तेरे उन कसमें वादों का 
जो तूने मुझसे किए थे जब ,
साथ जीने मरने की कसमें खाई
वो तेरा प्यार था या तेरी बेवफाई ,

तेरी बेवफाई को सोचकर
दिल में एक ख्याल आया हरजाई ,
एक नज़्म जरूर लिखूंगा
बे हिसाब तेरा कुसूर लिखूंगा ,
जिसमे किस्सा होगा तेरी बेवफाई ,

खिलौना समझा मेरे दिल को 
इस दिल के टुकड़े हजार कर गई ,
कितनी झूंठी होती है 
ये मोहब्बत की कसमें वादें ,
वफा का नाम लेकर 
बेवफाई का खंजर घोप गई ,

जाते - जाते एक बार 
पलटकर तो देखती ,
तेरे जाने के साथ ही
जान मेरी जिस्म से जुदा हो गई ।



By _ Vipin Dilwarya

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