" रूह भी तेरी मुझसे रूठ गई " by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )
" रूह भी तेरी मुझसे रूठ गई "
रूह भी तेरी मुझसे रूठ गई
ना जाने ऐसी खता कोन सी हो गई ,
एक बार मेरा कुसूर तो बता
जो तू मुझसे ऐसे रूठ गई ,
बड़ी सिद्दत से चाहा था मैंने तुझे
ना जाने कमी ऐसी कोन सी हो गई
जो तु मुझे ऐसे छोड़ गई ,
क्या हुआ तेरे उन कसमें वादों का
जो तूने मुझसे किए थे जब ,
साथ जीने मरने की कसमें खाई
वो तेरा प्यार था या तेरी बेवफाई ,
तेरी बेवफाई को सोचकर
दिल में एक ख्याल आया हरजाई ,
एक नज़्म जरूर लिखूंगा
बे हिसाब तेरा कुसूर लिखूंगा ,
जिसमे किस्सा होगा तेरी बेवफाई ,
खिलौना समझा मेरे दिल को
इस दिल के टुकड़े हजार कर गई ,
कितनी झूंठी होती है
ये मोहब्बत की कसमें वादें ,
वफा का नाम लेकर
बेवफाई का खंजर घोप गई ,
जाते - जाते एक बार
पलटकर तो देखती ,
तेरे जाने के साथ ही
जान मेरी जिस्म से जुदा हो गई ।
By _ Vipin Dilwarya
Bahut khoob bro.
ReplyDeleteThanks brother
DeleteWeldon bhai dilwarya
ReplyDeleteThanks brother
Delete👌
ReplyDelete🙏😊
Delete😊😊
ReplyDelete👍👍👍👍👏👏👏👏
ReplyDeleteThanks bro
DeleteGood comants
ReplyDeleteThanks
DeleteThanks brother
ReplyDelete🙏🙏🙏
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