" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )
" हे ईश्वर "
क्या फर्क है तेरी मिट्टी
और मेरी मिट्टी में ?
हे ईश्वर ,
छमा करना मेरी गलती को
एक प्रश्न है मेरे मन में जो
अंदर ही अंदर कचोटता है ?
हे ईश्वर ,
तुम इस श्रृष्टि के रचनाकार हो
और
और
मैं भी एक छोटा सा कलाकार हूं ,
तेरे बनाए मिट्टी के पुतले
इंसान है
और
मेरे बनाए मिट्टी के पुतले
बेजान है ।।
हे ईश्वर ,
बहुत कष्ट होता है
ये देखकर ,
रूह समाई पुतला
रूह समाई पुतले को
धिक्कार कर घर
से बाहर फेंकता है
और
बेजान मिट्टी की मूरत
को घर में लाकर
पूजता है ।।
हे ईश्वर ,
क्या फर्क है तेरी मिट्टी
और मेरी मिट्टी में ?
मैं तो छोटा सा कलाकार
बिज़नेस मैन हूं
और
तु तो इस श्रृष्टि का रचनाकार
सर्वशक्तिमान है ।।
हे ईश्वर ,
फिर क्या फर्क है तेरी
मिट्टी और मेरी मिट्टी में ?
तेरे बनाए मिट्टी के पुतले
कहलाते इंसान है
और
मेरे बनाए मिट्टी के पुतले
कहलाते भगवान है ।।
हे ईश्वर
क्या फर्क है तेरी मिट्टी
और मेरी मिट्टी में ?
__विपिन दिलवरिया
Gazab bhai
ReplyDeleteThanks brother
DeleteVery good Comments
ReplyDeleteThank you so much
DeleteBohat sundar he bhai✍️✍️✍️👌👌👌
ReplyDeleteBahut bahut dhanyavad 🙏 🙏
DeleteBahot khub
ReplyDeleteThanks brother
DeleteReally owsm bro
ReplyDeleteThanks a lot
DeleteSuperb 👌
ReplyDeleteThanks brother
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