ये सियासत है साहब ( Political Shayari ) by Vipin Dilwarya
ये सियासत है साहब
कसमें वादे पूरे हो या ना हो
करते रहो करने में क्या जाता है
प्रजा तो ऐसे ही छली जाती है
हवाएं तलक नीलाम कर चुके है,
यहाँ सांसे खरीदने की बात की जाती है
ये सियासत है साहब, यहाँ बिन पानी
के दरिया में नहानें की बात की जाती है
जब आती है बात हालत -ए- वतन की
उसके लिये बस मन की बात कही जाती है
__विपिन दिलवरिया
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