दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा है ( Shayari ) by Vipin Dilwarya
दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा है
छोड़ दी वो बदनाम गलियाँ
साहब इसलिये आज कल
खूबियाँ कम और कमियाँ ज्यादा है....
सच्चाई की गलियों में
ईमानदारी का आशियानाँ है अब हमारा
इसलिये दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा है....
और गैरो से गिला क्या करें
मेरी परछाई भी मेरे खिलाफ़ है
ए ख़ुदा अब तु भी बता दें तेरा क्या ईरादा है....
__विपिन दिलवरिया
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