सफर By Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya mere alfaz )

                         सफर


ऐ इंसान
     तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है ।
   थोड़ी देर का तो ठहराव है ,
सफर फिर शुरू होता है
ऐ इंसान
        तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है ....
  मौत सफर का अंत नहीं ,
  इसलिए ही तो पुनर्जन्म होता है ,
 कितने भी राज दफन हो सीने में
      ईश्वर के दरबार में सबका खुलासा होता है ।
ऐ इंसान
   तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है
     सफर कब खत्म होता हैं....
     ये कर्मो का लेखा - जोखा ही तो है ,
    जिस कारण सफर खत्म नहीं होता
तु कर्म कर
   कर्मो में ही तो स्वर्ग - नरक छुपा होता हैं ।
 ऐ इंसान
     तु कर्म कर सफर कब खत्म होता हैं
सफर कब खत्म होता हैं ......
मतलब के लिए क्या - क्या नहीं करता इंसान,
इंसान अपने ही बुने जाल में फंसा होता है ।
अच्छे कर्म वो है जो दूसरो को खुशियां दे सम्मान दे ,
अपना - अपना चाहने वालो का कहां भला होता हैं ।
ऐ इंसान
तु कर्म कर सफर कब खत्म होता हैं
सफर कब खत्म होता है......
दो रास्ते, एक नेकी का दूसरा मोहमाया का ,
इंसान नेकी को छोड़ मोहमाया के जाल में
फंसा होता हैं ।
तू कर्म कर छोड़ मोहमाया के जाल को ,
इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ
चला जाता हैं
सब कुछ हमारे कर्मो पर निर्भर होता हैं ।
ऐ इंसान
तु कर्म कर सफर कब खत्म होता है
सफर कब खत्म होता है ......

By _ Vipin Dilwarya
         

Comments

  1. बहुत उम्दा👌👌👌

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  2. Cha gaye guru bahut badhiya hai
    Safer vo nahi jo manjeel per pahuncha jaye
    safer vo hai jo maan ki santusti de

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    Replies
    1. Bilkul sahi Bhai
      Thank u so mich🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  3. Sabhi ko Dil se bahut bahut
    Dhanyavad sabhi ko🙏🙏🙏💖💖💖💖🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  4. क्या खूबसूरत सार दिया है जिन्दगी का विपिन भाई।।मजा आ गया

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  5. Nice poetry
    लाजवाब

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  6. Nice line...������

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  7. Super lines vipin bhai aise hi likhte raho... lahawab

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  8. बहुत खूब।👏👏👏👏👏

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  9. Keep it up to write new new thought.

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  10. Keep it up to write new new thought.

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  11. Thank you sir aap bahut acche writer hai aapka world devalpur naam hoga

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