Part - 11 - Thoughtfull Shayari __ Vipin Dilwarya
Thoughtfull Shayari
(1)
गलतफहमी रखते है जो,
उन्हें बता दूँ
ये सियासत अब वो पुरानी नहीं रही
ये 21 वीं सदी का क्रन्तिकारी युग है
अब वो 20 वीं सदी वाली बात पुरानी नहीं रही
जागीर समझ बैठे है जो दिल्ली को,
उन्हें बता दूँ
ये दिल्ली किसी की खानदानी नहीं रही
(2)
घना कोहरा ठंड बढ़ रही है
गरीबी फुटपात पर मर रही है
ना सर पर छत है ना तन पर कपड़ा
जिसके सहारे जीने की उम्मीद थी
वो धूप निकलने से डर रही है
(3)
चाहो तो बदल सकता है
उनका नज़रिया तुम्हारे लिये
ख़ुद एक बर बदलकर तो देखो
ख़ुद ब ख़ुद संभल जाएगा ये ज़माना
ख़ुद एक बार संभलकर तो देखो
(4)
देखो ये जी का जंजाल बन गया है,,!
ये जनसैलाब आज सवाल बन गया है,,!!
गुस्ताखी कर बैठी है ये हवायें दियो से,,!
देखो ये दिया आज मशाल बन गया है,,!!
(5)
बहारें गयी अब ख़िज़ां चल रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,!
कोई बताओ हुक्मरानों को फ़िज़ा बदल रही है,,!!
(6)
एक तरफ जवान है , एक तरफ किसान है
दोनों इस मिट्टी पर छिडकते अपनी जान है
क्यों आमने-सामने है वो आज यहाँ,
जिनकी होती एक दुसरे से पहचान है
किस ओर जा रहा है वो देश, जिस देश
का नारा "जय जवान जय किसान" है
(7)
किस को अच्छा
हम किस को बुरा कहें
सब मेरे अपनें थे
जो घोपकर पीठ में छुरा चले
__विपिन दिलवरिया ( मेरठ )
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