ये चादर सियासत की है ( शायरी ) ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

          ये चादर सियासत की है 



कहीं कफनखसोटी तो 

कहीं छीनाखसोटी नज़र आती है


ये चादर सियासत की है भाई,

किसी की बड़ी तो 

किसी की छोटी नज़र आती है


पक्ष में हो तो उसकी दी हुई रोटी,

विपक्ष में हो तो 

उसकी की हुई खोटी नज़र आती है


ये खुदग़र्ज़ी बड़ी खराब है भाई,

इसमें लंगोटी धोती 

और धोती लंगोटी नज़र आती है


बात कड़वी हो तो निभा लेना

बचके रहना वहाँ से

जहाँ भी चोटीपोटी नज़र आती है


बेईमान है ये 

सियासत और सियासी लोग,

बेच देते है ईमान

जहाँ रकम मोटी नज़र आती है



__विपिन दिलवरिया ( मेरठ )



चोटीपोटी - चिकनी चुपड़ी बात , 

                इधर उधर की बात

कफनखसोटी - कंजूसी , सुमडापन 

छीनाखसोटी -  छीना झपटी


Comments

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )