आज क्यों सड़कों पर किसान है ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया

 आज क्यों सड़कों पर किसान है


रसना   छप्पर   और   कच्चा   आँगन,

टूटी  चप्पल  हाथ  में  बैल  की तान है,,!!


फटी  धोती  टूटी  खाट  जिसकी यहाँ,

समझो  वही  मेरे  देश  का  किसान है,,!!


वफ़ा है मिट्टी से  मिट्टी उसकी आन है,

यही मेरे देश के किसान की पहचान है,,!!


उमड़ पड़ी है भीड़ सडकों पर देश की,

सब कुछ  देखकर  भी  वो अनजान है,,!!


ठिठुरती रात  और  हथेली पर प्राण है,

सड़के  हुई  गुलज़ार   सहरा  वीरान है,,!!


चीख चीखकर पूछ रहा है  वतन मेरा,

क्यों सूने जंगल सूने  खेत खलिहान है,,?


किस कदर बिगड़ा है आज ये मौसम-ए

-मिज़ाज़ , यहाँ  हर  किसान परेशान है,,!!


रोज़  खुदकुशी  कर  रहे  किसान यहाँ,

बस कहने को अन्नपूर्णा और भगवान है,,!!


गर सब कुछ ठीक है यहाँ अ हुक्मराँ,

फिर आज क्यों सड़कों पर किसान है,,?


कुछ तो हुआ है यहाँ  पूछ "दिलवरिया",

आखिर क्यों देश का हुक्मराँ बेजुबान है,,?



रसना - पानी रिसना

सहरा - जंगल



__विपिन दिलवरिया ( मेरठ )


Comments

Popular posts from this blog

पेड़ों का दर्द ( Pain of trees ) by _ Vipin Dilwarya ( Published by newspaper )

" खूबसूरती निहारती आइने में " ( एसिड अटैक ) by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" हे ईश्वर " क्या फर्क है तेरी मिट्टी और मेरी मिट्टी में ? By Vipin dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )