याद तेरी आती है बहुत ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
याद तेरी आती है बहुत
खुश हो जाता ज़र्रा ज़र्रा
दीवारें गुनगुनाती है बहुत
घर के मेरे हर कौने को
खुशबू तेरी महकाती है बहुत
आ जाओ तुम लौटकर
याद तेरी आती है बहुत
*
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सूना है कमरा सूना है वो बिस्तर
जैसे फूलों से उड़ चले हो तीतर
याद आती वो बाते
करते जो हम रात भर
याद आती वो रातें
साथ जो गुज़ारी है बहुत
आ जाओ तुम लौटकर
याद तेरी आती है बहुत
*
*
गुज़रा जब जब उन रहों को
याद करता तेरी बाहों को
बाहों में आकर तेरा मिलना
महसूस करता तेरी आहों को
आती हो जैसे ही ख्वाबों में
धड़कन मेरी बढ़ जाती है बहुत
आ जाओ तुम लौटकर
याद तेरी आती है बहुत
*
*
कह जाती है कानों में
ये हवा मुझे जलाती है बहुत
मुश्क़िल है बिछड़ के जीना
याद तेरी सताती है बहुत
अधूरा है तुम बिन"दिलवरिया"
बातें तेरी तडपाती है बहुत
आ जाओ तुम लौटकर
याद तेरी आती है बहुत
__ विपिन दिलवरिया ( मेरठ )
good
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