यहाँ माँ बिन कोई कोन है ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
यहाँ माँ बिन कोई कोन है
माँ प्रीत है माँ मनमीत है !
माँ की ममता बड़ी निराली है !!
माँ की ममता से जो वंचित हुआ,
जीवन उसका खाली खाली है !!
माँ गीत है माँ संगीत है !
माँ लोरी माँ ही कव्वाली है !!
माँ हर मौसम हर त्योहार है !
माँ होली माँ ही दिवाली है !!
जो भी दिया मुझे मेरी माँ ने,
माँ की हर चीज मैंने संभाली है !!
माँ लक्ष्मी है , माँ पूजा है !
माँ सरस्वती माँ ही शेरावाली है !!
माँ बहती धारा माँ शान्त पानी !
माँ दु:ख हरनी माँ ही रखवाली है !!
देखी माँ ने जो राह-ए-ज़िन्दगी,
लगता जैसे मैंने देखिभाली है !!
माँ वसुधा है माँ व्योम है !
माँ कोलाहल माँ मौन है !!
माँ वासर है माँ यामा है !
माँ विधु है माँ स्योन है !!
माँ की पूजा सबसे बड़ी है जग में,
बाकी सब की पूजा यहाँ गौण है !!
किसका वजूद क्या है"दिलवरिया",
यहाँ माँ बिन कोई कोन है !!
" कवि " विपिन दिलवरिया ( मेरठ )
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वसुधा - धरती
कोलाहल - ध्यान बटोरने वाली
स्योन - सुर्य , किरण
विधु - चाँद
यामा - रात , रात्रि
वासर - दिन
गौण - जिसका महत्व कम हो , दुसरे दर्जे वाला ( सेकेंडरी )
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