Part - 6 - Love shayari by Vipin Dilwarya
Part - 6 - Love shayari
(1)
मोहब्बत किस से है बड़ी उलझन में बैठा हुँ
याद उसकी आती है और मोबाइल उठा लेता हुँ
(2)
ज़िन्दगी पूरी बर्बाद हो गयी
संभला ही था कि मोहब्बत
फिर से एक बार हो गयी
(3)
तुझे अपना बनाकर मैं रख लूँ
खुशियाँ देदूँ तुझे सारे जहाँ की
और गम को छुपाकर मैं रख लूँ
चिराग़ मोहब्बत का रौशन रहे
रोशनी तेरे जीवन में भर दूँ
और अंधेरा चुराकर मैं रख लूँ
(4)
दो लफ्ज़ नहीं तु पूरी रुबाई है
मेरे दिल में बस तु ही समाई है
सब कुछ गवांया इस बाज़ार-ए-इश्क़ में
एक बस तु ही तो मेरी कमाई है
(5)
चाहकर छोड़ देने को इश्क़ नहीं कहते,,,!
छोडकर भी जो चाहे उसे इश्क़ कहते है,,!!
(6)
ये ज़मीन मेरा बिस्तर
आस्माँ मेरा कम्बल हो जाये
कुछ भी तो नहीं चाहता
ज़िन्दगी से,पर तु मिल जाये
तो ज़िन्दगी मुकम्मल हो जाये
(7)
इश्क़ के राग से नहीं चलती है
ये ज़िन्दगी त्याग से चलती है
(8)
मैं तेरे लिये
सब कुछ कर सकता हुँ
बस मर नहीं सकता,,,,,,!!
मैं मर गया तो तेरे लिये
सब कुछ नहीं कर सकता,,,!!
(9)
आज तर्क-ए-मोहब्बत समझ में आया
आज किसी ने वफ़ा का किस्सा सुनाया
खो गयी थी जो कहीं गुमनाम रहों पर
आज किसी ने मोहब्बत से राब्ता कराया
तर्क-ए-मोहब्बत - प्रेम का त्याग
राब्ता - रिश्ता
(10)
जिसके लिये हमनें ख़याल बड़े कर दिये
दो लफ्ज़ कहे उसनें बवाल खड़े कर दिये
ज़मानें के फिक्र छोड़ संभाला था उनको
सरे बाज़ार उसने हम कंगाल खड़े कर दिये
सिवा दर्द के कुछ ना मिला इस मोहब्बत में
इश्क़ के चक्कर ने हाल बड़े बेहाल कर दिये
__विपिन दिलवरिया ( मेरठ )
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