बेवफ़ाई क्या छोड़ी हमसे वफ़ा रूठ गई ( हिन्दी कविता ) ____विपिन दिलवरिया
बेवफ़ाई क्या छोड़ी हमसे वफ़ा रूठ गई
तुफानों में कभी पत्ते भी ना झडें
हल्की सी हवा में शाक टूट गई
समुंदर डुबो ना सका जिस कश्ती को
वो कश्ती साहिल पे आकर डूब गई
दूनियाँ हमारे खौफ़ से झुक जाती थी
हम शरीफ़ हुए तो दूनियाँ ही छूट गई
इश्क़ समुंदर दिल दरिया है मेरा
जिसने जब चाहा वो आकर कूद गई
दरिया बहता था कभी हमारी आँख से
देख हालात-ए-इश्क़ मेरी आँखें सूख गई
इश्क़ की गलियों के बदनाम आशिक़ है
बेवफ़ाई क्या छोड़ी हमसे वफ़ा रूठ गई
अब किसे बयां करूं मैं अपनी कहानी
जिसे सुनाई थी शान से वो ही भूल गई
गिला करे तो किससे करे हम
मेरी तकदीर ख़ुद मुझसे रूठ गई
नाकामयाबी बड़े तज़ुर्बे दे गई "दिलवरिया"
जितने अपने है उन सबकी पोल खुल गई
___विपिन दिलवरिया
Supper bhai
ReplyDeleteThanks brother
Deletenice bhai
ReplyDeleteThank u bhai
Deletenice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteThank you
ReplyDeleteKay baat bro gzb 👌
ReplyDeleteThank you so much
DeleteVery good
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