हर गज़ल एक सवाल बनेगी ( Ghazal ) __ विपिन दिलवरिया
हर गज़ल एक सवाल बनेगी
हुआ सबेरा तो साँझ भी ढ़लेगी
है खास अगर , वो आम भी बनेगी
सूनापन सा है मेरी ज़िन्दगी में
कभी तो ज़िन्दगी गुलज़ार बनेगी
मेरी तन्हाई आज मज़बूरी है,
यही ज़िन्दगी की ढाल बनेगी
शोला बन भड़केगी एक चिंगारी,
ये हल्की हवा अब तुफ़ान बनेगी
कर संकल्प उठाई जो मैनें,
मेरी कलम मेरी आवाज़ बनेगी
क्रूतियाँ चुनकर लिखुंगा समाज
की, हर गज़ल एक सवाल बनेगी
अनजानें में चोट खायी है मगर,
यही चोट सवालिया निशान बनेगी
हर हरफ़ में एक कहानी होगी
यही गज़लें मेरी आन बनेगी
चल पड़ा हुँ धुंधली सी रहों पर
यही रहगुज़र मेरा मुकाम बनेगी
एक दिन आएगा "दिलवरिया"
तेरे लफ्ज़ो से तेरी पहचान बनेगी
___विपिन दिलवरिया
Very nice lines
ReplyDeleteThank you so much
DeleteNice
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