मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती ( Shayari ) by Vipin Dilwarya
मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती
जो बेशर्म होते है
उन्हे कभी शर्म नहीं होती...
ज़हर दिखने वाली
हर चीज़ कभी ज़हर नहीं होती...
लाख बुराई करें मेरे
महबूब की मुझे हज़म नहीं होती...
मोहब्बत मेरी सच्ची है
सच्ची मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती...
__विपिन दिलवरिया
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