इल्ज़ाम हमी पे आता है ( Shayari ) __विपिन दिलवरिया
इल्ज़ाम हमी पे आता है
सितारें गर्दिश में कुछ इस तरह है,
पता है....
साख से पत्ता गिरे या बरसते बादल रुके
इल्ज़ाम हमी पे आता है,
पता है....
मेरे इश्क़ की कहानी भी कुछ इस तरह है
पता है....
वफाएँ भी हमने की और बदनाम भी हमी हुए है,
पता है....
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