Part - 4 - Love shayari by Vipin Dilwarya

         Love shayari



(1)

जो भी फ़साने  उसने  सुनायें है  मुझें,
उसमें एक एक लफ्ज़,उसने मोतियों सा गढ़ा है
छुपानें की कोशिश तो बहुत की मगर,
मैनें लफ्ज़ों को नहीं, उसके जज्बतों को पढ़ा हैं

(2)

दिल को संभालकर रख ये भटकनें लगा है
हर  नया  चेहरा  देखकर  धडकनें  लगा है

(3)

याद तेरी आज भी आती है, बस बताते नहीं है.!
मोहब्बत आज भी करते है, बस जताते नहीं है..!

(4)

Ishq Ibadat Hai
Ise Sambhalkar Rakho
Ishq Sare Bazar
Koi Numais Ki Chiz Nahi...

(5)

जितना पाया है
ज़िन्दगी में, उससे ज्यादा गंवाया है.!!
बिछड़ना पहली शर्त थी
मोहब्बत की, उस मोहब्बत को
भी हमने बड़ी शिद्दत से निभाया है.!!

(6)

बिछड़कर भी प्यार अमर हो जाता है
ग़र नाता जिस्म से नहीं रूह से होता है.!

किसी को पाना सिर्फ ख्वाहिश होती है
वरना प्यार तो उसकी यादों से भी होता है.!

(7)

'निशा' में नहीं मैं दिन में 'निशा' देखता हुँ
आज कल  'निशा' का इंतज़ार करता हुँ
बड़ी    हसीं    होती    है    वो    'निशा'
जिस 'निशा' में मैं 'निशा' से बात करता हुँ

(8)

वो इश्क़ भी क्या इश्क़
जिसमें कोई रवानी ना हो...

वो जवानी भी क्या जवानी
जिसकी कोई कहानी ना हो...

(9)

जो बेशर्म होते है
उन्हे कभी शर्म नहीं होती...

ज़हर दिखने वाली
हर चीज़ कभी ज़हर नहीं होती...

लाख बुराई करें मेरे
महबूब की मुझे हज़म नहीं होती...

मोहब्बत मेरी सच्ची है
सच्ची मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती...

(10)

एक शख्स एसा
जरुर होना चाहिए
ज़िन्दगी संवारनें के लिये...
लफ्ज़ो की जरुरत ही ना हो
हाल ए दिल बताने के लिये...


__विपिन दिलवरिया

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