सजी हुई चिता से उतारा शव (आगरा प्रकरण जातिवाद का घिनौना रूप) ( हिन्दी कविता ) __विपिन दिलवरिया
सजी हुई चिता से उतारा शव
(आगरा प्रकरण जातिवाद का घिनौना रूप)
ये कौन लोग इतनें ज्ञानवान है
एक जात तुच्छ एक जात महान है
ऊँच - नीच जात - पात में बटाँ
ये कौन सा धर्म कौन सा इन्सान है
मिट्टी बांट दी , बांट दी इंसानियत
और कहते है मेरा देश महान है
सजी हुई चिता से उतारा शव,
ये कौन लोग कौन से इन्सान है
कैसे कह दूँ मैं उस धर्म को अपना
जहाँ जातिवाद में बटें शमशान है
नहीं मानता वो धर्म "दिलवरिया"
जहाँ इंसानियत नहीं बस हैवान है
__विपिन दिलवरिया
nice
ReplyDeleteThank u bhai
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