"" धर्म "" by Vipin Dilwarya ( published by Amar Ujala kavya )

" धर्म "


मंदिर पर बरसे , मस्जिद पर बरसे
चर्च और गुरुद्वारे को भिगोएगा ,
धर्म के नाम पर बांटने वालों
इस बादल का धर्म कौन बताएगा ??

हिन्दू मुस्लिम की प्यास बुझाए
सिख ईसाई की तृष्णा मिटाए ,
धर्म के नाम पर बांटने वालों
इस पानी का धर्म कौन बताएगा ??

मंदिरों को सजाया जाता है
मजारो की शान बढ़ता है 
चर्च गुरुद्वारे को महकाएगा ,
धर्म के नाम पर बांटने वालों
इन फूलों का धर्म कौन बताएगा ??

पूरी दुनिया को रोशन करता है
सृष्टि को उज्जवल करता है ,
धर्म के नाम पर बांटने वालों
इस सूरज का धर्म कौन बताएगा ??

हिन्दू जीता है मुस्लिम भी जीता है
सिख और ईसाई भी सांस लेता है ,
धर्म के नाम पर बांटने वालों
इन हवाओं का धर्म कौन बताएगा ??

हिन्दू तुझमें विलीन हो जाता है
मुस्लिम कब्र बनाकर दफनाता है ,
धर्म के नाम पर बांटने वालों
इस मिट्टी का धर्म कौन बताएगा ??

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
धर्म बनाया इंसान ने ,
गॉड खुदा ईश्वर अल्लाह 
नाम दिया इंसान ने ,
जिसने बनाया इंसान को
क्या इंसान भगवान् का धर्म बताएगा ??

मंदिर मस्जिद भी हैरान है
चर्च गुरुद्वारे भी परेशान है ,
हमें इस बात का इल्म भी नहीं
ये दुनिया धर्म के नाम पर
मरने मिटने को तैयार है ।

हिन्दू इंसान मुस्लिम इंसान ,
सिख ईसाई भी इंसान है ,
इंसान हो इंसान बनो 
दिलवारिया तो यही समझाएगा ,
अगर इंसान को इंसानियत दिखाएगा 
तो धर्म एक बन जाएगा
और इंसानियत ही धर्म कहलाएगा ।।



   🙏"इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है ।"🙏


                  https://vipindilwarya.blogspot.com




__विपिन दिलवारिया 


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