जीवन by Vipin Dilwarya ( Published by Amar Ujala kavya )

जीवन


निज जीवन के संघर्ष में
दूर किया सबको अपने से ,

नहीं रहा ध्यान मां बाप 
भाई बहन और घर परिवार का ,

तब मुझे समझ में आया
अपनों के बिना ये जीवन किस काम का ।।

कामयाबी की इस चाह में
मैं सब कुछ भूल गया ,

सफलता की सीढ़ियां तो चढ़ता गया 
पर अपनों का साथ छूट गया ,

जीत लिया जग-संसार मैंने
पर अपना कोई साथ ना था ,

तब मुझे महसूस हुआ 
अपनों के बिना ये जीवन किस काम का ।।

मतलब से जुड़ा हर इंसान
मतलब से संबंध जोड़ता गया ,

जब आया कठिनाई का दौर
मतलबी संबंध तोड़कर मुंह मोड़ गया ,

जीवन के इस उतार - चढ़ाव में 
ज्ञान हुआ अपने-पराए इंसान का ,

तब मुझे मालूम हुआ 
अपनों के बिना ये जीवन किस काम का ।।




🙏अपनों का साथ कभी ना छोड़े🙏
        🙏  पूरी दुनिया मुह मोड़ लेगी 🙏
               🙏तब अपने ही साथ खड़े होंगे🙏


               https://vipindilwarya.blogspot.com


      
                       

     __ विपिन दिलवारिया 




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