" भूख " by Vipin dilwarya ( published by newspaper )

" भूख "


हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता है...

सबको समान बनाया तूने ,

कोई अमीर तो कोई गरीब क्यों होता है ?


तेरा बनाया इंसान भूखा ही रहता है ,

कोई धन दौलत का , कोई शोहरत का

तो कोई पेट का भूखा होता है ।


कोई छप्पन भोग खाकर सोता है ,

तो कोई एक वक्त की रोटी को तरसता है ।


ईश्वर तेरा खेल समझ नहीं आता ,

एक सूखी रोटी समझकर फेक देता है

दूसरा भूखे पेट सो जाता है ।


हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता हैं...


हे ईश्वर जब तेरे दरबार में 

कोई भेदभाव नहीं होता है ,

इंसान धरती पर जन्म लेता हैं

कोई मखमल के गद्दों पर 

तो कोई चटाई पर पैदा क्यों होता हैं ?



किस्मत का खेल तूने क्या खूब बनाया 

कोई पैदा होते ही राजकुमार बन जाता है ,

तो कोई पैदा होते ही फ़कीर कहलाता हैं ।

 

हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता है...


फेंक देते है जो सूखी रोटी समझकर

काश उस रोटी की अहमियत समझ पाता ,

सूखी रोटी की कीमत क्या होती है ,

उस से पूछ जो हालात का मारा होता है ।


हे ईश्वर तेरा खेल निराला होता हैं...



               https://vipindilwarya.blogspot.com



                                           By _ Vipin Dilwarya

Comments

  1. Realizing that you can are you have doing.

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  2. असत्य पर सत्य की जीत के त्योहार
    विजयदशमी की आपको और आपके परिवार को
    हार्दिक शुभकामनाएं… ईश्वर आपको नई ऊंचाइयां दें। Regards - " BH Motivation 🔥

    ReplyDelete

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