Part - 7 - Love shayari __Ghazi Acharya
Love shayari
(1)
बहुत खलती है मुझे उसकी गैर मौजूदगी
शाम ढलते ही याद आती है वो मौसीक़ी
खुशी का नहीं गम का ही सही, ज़िन्दगी
का हिस्सा तो है बस यही है आसूदगी
आसूदगी - सन्तोष
(2)
ऐतबार कर बैठा मैं उन रातों पर
काबु कर ना पाया जज़्बातों पर
सब कुछ गवां बैठा "दिलवरिया"
यक़ीन करके उनकी बातों पर
(3)
मेरे ख्वाब है अधूरे
तेरे बिन है अधूरी मेरी रात
ना मिले तू अगर
तेरे बिन मैं मर जाऊं आज
(4)
तेरी खुशहाल ज़िन्दगी का
पता कुछ इस तरह गुम हो जाये,,,,
कि ढूँढता रह जाये गम
और वो खुद में गुम हो जाये,,,,
(5)
मैनें इक कविता लिखी है
जिसमें हर बीती बात लिखी है
मैनें इक कविता लिखी है
जिसमें हर जज्बात लिखी है
कविता के हर लफ्ज़ में मैं हुँ
मैनें सुबह और शाम लिखी है
मैनें इक कविता लिखी है
जिसमें हर गुजरती रात लिखी है
(6)
ना जाने कब तू इतनी जरुरी हो गयी,,!
कि मेरी अधूरी ज़िन्दगी पूरी हो गयी,,,!!
(7)
तेरी बातें,,,,,,,,, मीठी खीर हो गई
तू मेरा मन्दिर - मस्जिद तू ही पीर हो गई
जब भी मिलती मेरी नज़रों से तेरी नजरें
लगता जैसे जिगर पार शमशीर हो गई
(9)
मेरी चाहत तुझसे है
मेरी राहत तुझसे है
मिल जाये मुकम्मल जहाँ मगर,
मेरी ज़िन्दगी मुकम्मल तुझसे है
(10)
नौ महीने बिना देखे प्यार करती है माँ
मेरे झूँठ को भी सच करती है माँ
दुनिया की हर खुशी देकर मुझे
मेरे हिस्से के भी कष्ट हरती है माँ
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
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