एहसास ( गज़ल ) __ गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
एहसास
एक एहसास है जो मेरे पास है
उसकी याद है उसकी बात है
मेरे साथ उसके जज़्बात है
एक एहसास है जो मेरे पास है
गवाह ये ज़मीं गवाह ये आसमाँ
गवाह वो वस्ल की बरसात है
एक एहसास है जो मेरे पास है
है कुछ मजबूरियाँ
जो हम में है दूरियाँ
दूर है तो क्या हुआ
मेरे पास उसके खयालात है
एक एहसास है जो मेरे पास है
खिज़ा की वो शाक नहीं
जो यूं टूटकर बिखर जाये
मोहब्बत है कोई मदिरा नहीं
जो यूं गिरकर उतर जाये
कैसे छोड़ दूँ मैं ये साँस"गाज़ी"
मेरे पास जीने की आस है
एक एहसास है जो मेरे पास है
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
Nice bro
ReplyDeleteThank u bhai
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteThank you so much bhai
DeleteBahut khoob 👍🏻👍🏻
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