दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई ( शायरी ) __गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई
देखो आज वो शाम आई
मेरे हिस्से खुशियाँ तमाम आई
एक माँ का दामन छूटा तो
अपनी बाहें पसारे धरती माँ आई
ज़मींदारी लेकर आई मेरी शहीदी,
आज दो गज़ ज़मीं मेरे नाम आई
खुशकिस्मत हुँ मैं वतन तेरे लिये,
मेरे ज़िस्म की मिट्टी काम आई
__गाज़ी आचार्य ' गाज़ी '
Nice
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
DeleteSuperb line
ReplyDeleteThank you so much bhai
DeleteKya khoob likha h bhai
ReplyDeleteThanks brother
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