" आखिर कौन है वो इंसान " ( Rapist poetry ) by Vipin Dilwarya

" आखिर  कौन  है  वो  इंसान "
  ( Rapist poetry )



आखिर  कौन  है  वो  इंसान ,

ना बेटी , ना बहन , ना दिखती है
मासूमियत वो इंसान है या हैवान ,

तीन साल की बच्ची देखता है 
ना देखता है 60 साल की औरत ,

हवस  का  पुजारी  है  वो
ना देखता है बच्ची और जवान ,

आखिर  कौन  है  वो  इंसान.....

इंसान , इंसान को मार रहा
बेटियों को नोच रहा और
कर रहा औरत की इज्ज़त तार - तार

रोज हो रहे बलात्कार
खबरे आ रही है लगातार

आखिर  कौन  है  वो  इंसान
जो कर रहा इंसानियत को शर्मशार ,

आखिर  कौन  है  वो  इंसान.....

तू  है  या  मैं  हूं , 
ये  है  या  वो  है ,

तू भी नहीं मैं भी नहीं , ये भी नहीं 
वो भी नहीं सब बनते है अंजान ,

क्या कोई और है इस समाज में
कोई दूसरे ग्रह से आता है क्या ,

तू भी इस समाज में , 
मैं भी इस समाज में , 

ये भी इस समाज में , 
वो भी इस समाज में ,
फिर कैसे होगी उसकी पहचान ,

आखिर  कौन  है  वो  इंसान.....



By _ Vipin Dilwarya

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