" आखिर कौन है वो इंसान " ( Rapist poetry ) by Vipin Dilwarya
" आखिर कौन है वो इंसान "
( Rapist poetry )
आखिर कौन है वो इंसान ,
ना बेटी , ना बहन , ना दिखती है
मासूमियत वो इंसान है या हैवान ,
तीन साल की बच्ची देखता है
ना देखता है 60 साल की औरत ,
हवस का पुजारी है वो
ना देखता है बच्ची और जवान ,
आखिर कौन है वो इंसान.....
इंसान , इंसान को मार रहा
बेटियों को नोच रहा और
कर रहा औरत की इज्ज़त तार - तार
रोज हो रहे बलात्कार
खबरे आ रही है लगातार
आखिर कौन है वो इंसान
जो कर रहा इंसानियत को शर्मशार ,
आखिर कौन है वो इंसान.....
तू है या मैं हूं ,
ये है या वो है ,
तू भी नहीं मैं भी नहीं , ये भी नहीं
वो भी नहीं सब बनते है अंजान ,
क्या कोई और है इस समाज में
कोई दूसरे ग्रह से आता है क्या ,
तू भी इस समाज में ,
मैं भी इस समाज में ,
ये भी इस समाज में ,
वो भी इस समाज में ,
फिर कैसे होगी उसकी पहचान ,
आखिर कौन है वो इंसान.....
By _ Vipin Dilwarya
👌
ReplyDeleteThank u
DeleteGood Brother
ReplyDeleteThank u so much
DeleteSuperb 👌👌
ReplyDeleteThank you so much bro
DeleteAbsolutely right bro
ReplyDeleteThanks brother
DeleteKya baat he bhai, bohat sundar
ReplyDeleteThanks brother
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