हिस्से बांट ले गये ( शायरी ) __विपिन दिलवरिया

 

              हिस्से बांट ले गये


संभालकर रखे थे जो हमनें,

वो सिक्के बांट ले गये


आईना तलाशते रहे हम,

वो  शीशे  काट ले गये


नावाक़िफ़ थे हम 

मिज़ाज-ए-फ़ितरत-ए-इंसाँ से


हम रिश्तें निभाते रह गये, 

वो  हिस्से  बांट ले गये



__विपिन दिलवरिया 

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